पितृश्राद्ध आरम्भ
पूर्णिमा श्राद्ध – 2/9/20, बुधवार
1 प्रतिपदा श्राद्ध – 3/9/20 गुरुवार
2 द्वितीया श्राद्ध – 4/9/20 शुक्रवार
3 तृतीया श्राद्ध- 5/9/20 शनिवार
4 चतुर्थी श्राद्ध-6/9/20 रविवार
5 पंचमी श्राद्ध- 7/9/20 सोमवार
6 षष्ठी श्राद्ध-8/9/20 मंगलवार
7 सप्तमी श्राद्ध- 9/9/20 बुधवार
8 अष्टमी श्राद्ध- 10/9/20 गुरुवार
9 नवमी श्राद्ध- 11/9/20 शुक्रवार
10 दशमी श्राद्ध- 12/9/20 शनिवार
11 एकादशी श्राद्ध- 13/9/20 रविवार
12 द्वादशी श्राद्ध- 14/9/20 सोमवार
13 त्रयोदशी श्राद्ध- 15/9/20 मंगलवार
14 चतुर्दशी श्राद्ध- 16/9/20 बुधवार
15 सर्वपितृ अमावस श्राद्ध 17/9/20 गुरुवार
पितृ पक्ष की शुरुवात हो गयी है हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष का काफी महत्व होता है. माना जाता है कि जो लोग पितृ पक्ष में पूर्वजों का तर्पण नहीं कराते, उन्हें पितृदोष लगता है. श्राद्ध के बाद ही पितृदोष से मुक्ति मिलती है. श्राद्ध से पितरों को शांति मिलती हैं. वे प्रसन्न रहते हैं और उनका आशीर्वाद परिवार को प्राप्त होता है.
यह वह समय होता है जब हम पित्तरों का तर्पण और उनका श्राद्ध करते हैं. ऐसे में कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना होता है जिससे आप को उसका लाभ और पितृ का आर्शीवाद भी मिलेगा
पितरों का श्राद्ध उनकी मृत्यु तिथि पर ही करना चाहिए.श्राद्ध में दान करें या खास चीजें होगी धन प्राप्ति, दूर होगी परेशानियां और पितृ दोष
पितृ पक्ष के दौरान घर की अच्छी तरह से सफाई करनी चाहिए.
पितृ पक्ष में गाय, कुत्ते और कौए को भोजन अवश्य कराना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से पित्तरों को हमारे द्वारा दिया गया भोजन प्राप्त होता है.
पितृ पक्ष में जिस व्यक्ति का श्राद्ध कर रहे हैं उसका मनपसंद खाना जरूर बनाएं.
पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराना चाहिए और उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए.
पितृ पक्ष में पित्तरों के श्राद्ध के बाद भांजे को भोजन अवश्य कराएं और उससे दक्षिणा देकर आशीर्वाद अवश्य लें.
पितृ पक्ष क्या चीज़ नहीं करनी चाहिए-
पितृ पक्ष में पित्तरों का श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए. यदि आप ऐसा नहीं करते तो आपको पित्तरों का श्राप लगता है.
इस दिन घर में लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए. इससे पितर नाराज हो जाते हैं.
इस समय में अपने घर पर मांस और मदिरा का सेवन भी बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
पितृ पक्ष में आपको किसी भी पशु या पश्री को न तो मारना चाहिए और न हीं सताना चाहिए.
इस समय में किसी भी ब्राह्मण या बुजुर्ग का अपमान तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.