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रिटायरमेंट के बाद जजों को संयम बरतना चाहिए, जस्टिस नरसिम्हा ने कही महत्वपूर्ण बात, जस्टिस एएस चंदुरकर की भी प्रशंसा की l

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने हाल ही में कहा है कि जजों को अपने रिटायरमेंट के बाद ज्यादा बोलने या सोशल मीडिया पर सक्रिय होने से बचना चाहिए। उनका मानना है कि जजों का काम सिर्फ न्याय करना है और फैसलों को खुद बोलने देना चाहिए, न कि अपने व्यक्तित्व को ज्यादा प्रदर्शित करना चाहिए।

जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि सही न्याय देने के लिए जजों का सार्वजनिक जीवन से दूर रहना जरूरी होता है। वे फैसले लें, और अपने फैसलों के जरिए ही अपनी बात रखें। उन्होंने अपने सहयोगी जस्टिस एएस चंदुरकर की तारीफ करते हुए कहा कि वे ऐसे जज हैं जो अपने फैसलों से ही बोलते हैं और अपनी छवि बनाए रखते हैं।

जस्टिस नरसिम्हा ने सोशल मीडिया के इस युग में हर शब्द की रिपोर्टिंग की पर चिंता जताई। वे कहते हैं कि ज्यादातर जज इस बात से सावधान नहीं रहते, जिससे वे अप्रिय स्थिति में फंस सकते हैं। रिटायरमेंट के बाद अधिक बोलने की प्रवृत्ति भी न्याय व्यवस्था के लिए हानिकारक हो सकती है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ विवादों में आए हैं। जस्टिस नरसिम्हा का मानना है कि न्यायाधीशों को अपने फैसलों और न्यायिक जिम्मेदारी पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए न कि व्यक्तिगत बयानबाजी प

न्यायालय में वकीलों और जजों दोनों को तर्कों और फैसलों में संक्षिप्तता रखने की सलाह भी दी गई है। संयम न्यायपालिका की गरिमा और विश्वसनीयता को बनाए रखने में सहायक होता है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हा का यह संदेश न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और बेहतर न्याय वितरण के लिए संयम की महत्वपूर्ण आवश्यकता को दर्शाता है। उनके सहयोगी जस्टिस एएस चंदुरकर की प्रशंसा इस बात की गवाही देती है कि फैसलों की भाषा ही सबसे प्रभावी होती है।

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