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“12 साल के संघर्ष के बाद चंडीगढ़ पूरी तरह स्लम-फ्री: प्रशासन ने 520 एकड़ सरकारी जमीन वापिस लेी, झुग्गियों का अकाल”

चंडीगढ़। सुनियोजित शहर की परिभाषा से मिसाल लेने वाला चंडीगढ़ अब एक लंबी लड़ाई के बाद देश का पहला स्लम-फ्री शहर बनने की कगार पर है। पिछले करीब 12 वर्षों से चलाया जा रहा अतिक्रमण हटाने और झुग्गी-झोपड़ी उन्मूलन अभियान अब चरम पर है: अब तक लगभग 520 एकड़ सरकारी भूमि अतिक्रमणमुक्त कराई जा चुकी है, और झुग्गी-झोपड़ी के अधिकांश कॉलोनीयों को खाली करा दिया गया है।

यह अभियान करीब 2007 से शुरू हुआ जब चंडीगढ़ प्रशासन ने अवैध कॉलोनियों और झुग्गियों की पहचान कर उन्हें हटाने की योजना बनाई।

चंडीगढ़ स्मॉल फ्लैट योजना-2006 के तहत लगभग 25,728 फ्लैटों की योजना बनाई गई थी, जिससे करीब 1 लाख से अधिक लोग अवैध कॉलोनियों से निकल कर वैकल्पिक आवास पा सकें।

धीरे-धीरे ‘अदर्श कॉलोनी’, ‘संझाय कॉलोनी’, ‘जंटा कॉलोनी’ समेत कई प्रमुख झुग्गी-झोपड़ी कॉलोनियों को ध्वस्त किया गया और सरकार ने उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था और नोटिसें देकर खाली कराने की प्रक्रिया अपनाई।

“जंटा कॉलोनी” (सेक्टर-25) को 10 एकड़ सरकारी भूमि से खाली कराया गया, जिसमें लगभग 2,500 झोपड़ियाँ और करीब 5,000 लोग रहते थे।

“संजय कॉलोनी” Industrial Area Phase-1 में लगभग 6 एकड़ जमीन रिक्लेम कराई गई, जहां अब झुग्गियों का अस्तित्व नहीं रहेगा।

“आदर्श कॉलोनी” (सेक्टर 53-54) को लगभग 12 एकड़ सरकारी भूमि से खाली कराया गया है, जिसे अब पुनर्विकास (residential/commercial) के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।

अभी भी एक-दो छोटी कॉलोनियाँ बची हैं: शाहपुर कॉलोनी सेक्टर 38 जो लगभग 4 एकड़ जमीन पर फैली है, जिसमें करीब 300-400 झोपड़ियाँ हैं।

सरकार ने कैसे किया कार्रवाई का संचालन
प्रशासन ने न्यायालय (High Court) के निर्णय, स्थानीय सूचनाएँ, अधिसूचनाएँ आदि के माध्यम से कानूनी प्रक्रिया पूरी की।

पुलिस, जिला प्रशासन और अन्य विभागों के सहयोग के साथ ध्वस्तीकरण चली। नौकरशाही प्रक्रिया का सम्मिलन हुआ — पुनर्वास योग्य लोगों की पहचान, वैकल्पिक ठिकानों की व्यवस्था आदि। हालांकि कई लोगों ने प्रदर्शन भी किए और न्यायालयों में याचिकाएँ भी दायर की गईं।

झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों ने यह तर्क दिया है कि उन्हें समय नहीं दिया गया कि वे वैकल्पिक आवास विकसित कर सकें, या किराये-घर ढूँढ पायें।

कुछ मामलों में धार्मिक स्थल व सार्वजनिक उपयोग की इमारतों को हटाने को लेकर विवाद हुआ।

पुनर्वास करने की योजनाएँ समय-समय पर चुनौती में थीं क्योंकि दस्तावेजीकरण, पात्रता और भूमि अधिकारों के मसले सामने आये।

प्रशासन ने कहा है कि जो कॉलोनियाँ अभी बची हैं, जैसे शाहपुर कॉलोनी आदि, उन्हें भी जल्द ही पूरी तरह से साफ किया जाएगा ताकि चंडीगढ़ पूरी तरह से झुग्गियों से मुक्त हो सके।

रिक्लेम की गई जमीन का उपयोग नियमित आवास योजना, सिविक इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्कूल-कॉम्युनिटी सेंटर, स्वास्थ्य केंद्र, पार्क आदि के निर्माण के लिए किया जाएगा।

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