बिहार में शिक्षक अभ्यर्थियों का आंदोलन एक बार फिर तेज़ होने जा रहा है। पटना में 4 अक्टूबर को बड़ी संख्या में शिक्षक उम्मीदवार सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। उनकी मुख्य मांग है कि सरकार तुरंत TRE-4 (Teacher Recruitment Exam-4) के तहत 1.20 लाख पदों पर बहाली की प्रक्रिया शुरू करे।
गौरतलब है कि शिक्षक अभ्यर्थियों ने पिछले कई महीनों में लगातार धरना-प्रदर्शन और रैलियां निकालीं, लेकिन सरकार द्वारा ठोस आश्वासन नहीं मिलने से वे निराश हैं। अब चुनावी वर्ष में वे फिर से दबाव बनाने की रणनीति के तहत राजधानी की सड़कों पर आवाज़ उठाने जा रहे हैं।
अभ्यर्थियों का कहना है कि राज्य के हजारों सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। बावजूद इसके सरकार लगातार बहाली प्रक्रिया में देरी कर रही है। एक अभ्यर्थी ने कहा—
“हमने सालों मेहनत करके परीक्षा दी, लेकिन अब भी नियुक्ति अटकी हुई है। सरकार ने वादे किए थे, मगर हकीकत में बहाली की गति बेहद धीमी है। हमें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।”
सरकारी सूत्रों का कहना है कि बहाली की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है, लेकिन प्रशासनिक औपचारिकताओं और चुनावी आचार संहिता को देखते हुए कोई भी कदम उठाना कठिन हो सकता है। हालांकि शिक्षा विभाग ने पहले संकेत दिया था कि TRE-4 के जरिए बड़ी संख्या में पद भरे जाएंगे। अब अभ्यर्थी चाहते हैं कि सरकार समयबद्ध कार्यक्रम घोषित करे।
चुनावी वर्ष में इस आंदोलन का राजनीतिक असर भी देखने को मिलेगा। विपक्ष पहले से ही बिहार सरकार पर वादाखिलाफी और शिक्षकों की कमी का आरोप लगा रहा है। ऐसे में पटना में होने वाला यह प्रदर्शन सरकार पर और दबाव बढ़ा सकता है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर अभ्यर्थियों की माँगें पूरी नहीं हुईं, तो इसका असर विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार पर पड़ सकता है।
राजधानी पटना में 4 अक्टूबर को होने वाले प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन सतर्क हो गया है। पुलिस ने सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम करने की तैयारी शुरू कर दी है। पिछले प्रदर्शनों में अभ्यर्थियों और पुलिस के बीच झड़पें भी हो चुकी हैं, इसलिए इस बार हालात को संभालने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात करने की योजना बनाई जा रही है।
शिक्षक बहाली को लेकर लंबे समय से चली आ रही मांगें 4 अक्टूबर को एक बार फिर पटना की सड़कों पर गूंजेंगी। अब सबकी निगाहें सरकार की रणनीति और अभ्यर्थियों की ताकत पर टिकी हुई हैं।

