मुंबई मेट्रो-3 के वर्ली स्टेशन का नाम पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम से हटा दिए जाने को लेकर राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। कांग्रेस ने इस कदम को नेहरू के प्रति जानबूझकर अपमान बताया है, जबकि बीजेपी ने कहा है कि स्टेशन का नाम पहले से ही ‘साइंस सेंटर’ रखा गया था और इसके पीछे उनका कोई हाथ नहीं है।
मुंबई कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि वर्ली इलाके को दशकों से ‘नेहरू साइंस सेंटर’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा को नेहरू के नाम से एलर्जी है और इसलिए उन्होंने नाम पर से ‘नेहरू’ शब्द को हटाकर सिर्फ ‘साइंस सेंटर’ रखा। सावंत ने कहा, “यह भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और भारत रत्न की स्मृति का गहरा अपमान है। भाजपा की यह संकीर्ण मानसिकता और इतिहास मिटाने का प्रयास व्यर्थ है।”
कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब उनकी पार्टी ने इतिहास को बदला है। उन्होंने उदाहरण दिया कि दिल्ली के नेहरू स्मारक संग्रहालय का नाम प्रधानमंत्री संग्रहालय बना दिया गया है, नेहरू युवा केंद्र संघ का नाम बदलकर ‘मेरा भारत’ कर दिया गया और अहमदाबाद के स्टेडियम का नाम भी बदला गया।
वहीं, मुंबई भाजपा अध्यक्ष अमित साटम ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 2013 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने ही मेट्रो स्टेशन का नाम ‘साइंस सेंटर’ रखा था और भाजपा का इसमें कोई रोल नहीं है। उन्होंने कहा कि यह नाम ‘नेहरू साइंस सेंटर’ के निकट होने के कारण उपयुक्त है।
यह विवाद मुंबई मेट्रो के लाइन-3 के हालिया उद्घाटन और संचालन की पृष्ठभूमि में आया है, जिसमें इस स्टेशन का नामकरण सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही स्टेशन का नाम बदलाव नहीं हुआ तो वे सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला सत्ता संघर्ष के साथ-साथ इतिहास और विरासत के संरक्षण को लेकर अहम लड़ाई का रूप ले चुका है, जो आगामी चुनावों के सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

