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इस्तीफा स्वीकार नहीं होने के बावजूद कन्नन गोपीनाथन कांग्रेस में शामिल, IAS अधिकारियों के लिए राजनीति के सख्त नियम l

साल 2012 बैच के AGMUT कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन मंगलवार को कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। गोपीनाथन ने 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने और वहां लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के विरोध में सेवा से इस्तीफा दिया था। हालांकि, प्रशासनिक रिकॉर्ड के अनुसार उनका इस्तीफा अब तक विभागीय स्वीकृति नहीं प्राप्त कर पाया है और उनका स्टेटस अभी भी सेवारत अधिकारी का ही दर्ज है।

कन्नन गोपीनाथन ने दिल्ली में कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी के मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। उन्होंने कहा कि 2019 में उन्होंने पद छोड़ने का फैसला इसलिए किया था क्योंकि उन्हें महसूस हुआ कि सरकार देश को गलत दिशा में ले जा रही है और उन्हें इसके खिलाफ आवाज उठानी थी। इस्तीफा देने के बाद उन्होंने देश के 80-90 जिलों का दौरा किया, लोगों से बातचीत की और अंततः यह समझा कि कांग्रेस ही देश को सही दिशा में ले जा सकती है।

IAS अधिकारियों के लिए स्पष्ट नियम हैं कि वे सरकार की सेवा में रहते हुए राजनीतिक दलों में शामिल नहीं हो सकते और चुनाव लड़ने के भी अधिकारी नहीं होते। हालांकि गोपीनाथन का इस्तीफा स्वीकार न होने के बावजूद उन्होंने पार्टी की सदस्यता ले ली है, जो प्रशासनिक नियमों के सापेक्ष एक विवादास्पद स्थिति है। उनका अंतिम पद दादर और नगर हवेली में पावर डिवेलपमेंट सचिव का था।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने गोपीनाथन का स्वागत करते हुए कहा कि उनका शामिल होना कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने एक सिद्धांतवादी प्रशासक और लोकतंत्र के निडर प्रतिनिधि के तौर पर काम किया है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट संदेश है कि कांग्रेस देश के लिए न्याय और समावेशन की लड़ाई लड़ रही है।

गोवीनाथन की इस राजनीतिक यात्रा ने IAS अधिकारियों और अन्य सरकारी कर्मचारियों के बीच राजनीति में शामिल होने की सीमा रेखाओं को दोबारा चर्चा में ला दिया है। नियम तो स्पष्ट हैं लेकिन कई बार व्यक्तिगत विचार और लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता ऐसे निर्णयों को प्रेरित करते हैं।

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