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169 करोड़ की रिश्वत मामले में वसई-विरार के पूर्व कमिश्नर अनिल पवार का काला चिट्ठा खुला: पत्नी ने काले धन को बनाया सफेद l

वसई-विरार सिटी नगर निगम (VVCMC) के पूर्व कमिश्नर और आईएएस अधिकारी अनिल पवार पर अवैध निर्माण परियोजनाओं के लिए करीब 169 करोड़ रुपये की रिश्वत और कमीशन लेने का गंभीर आरोप लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है, जिसमें बताया गया है कि पवार ने अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान सरकारी और निजी जमीनों पर अवैध रेजिडेंशियल और कमर्शियल बिल्डिंग्स के निर्माण के लिए रिश्वत लेकर अपनी और अपने परिवार की संपत्ति में करोड़ों का इजाफा किया।

ईडी ने आरोप लगाया कि अनिल पवार ने अपने काले धन को सफेद करने के लिए कई कंपनियां बनाईं और नगदी, सोना, हीरे, महंगी साड़ियां, फार्महाउस जैसी संपत्तियां पत्नी और रिश्तेदारों के नाम पर खरीदीं। आपराधिक मनी लॉन्ड्रिंग की इस रकम को कई बेनामी संस्थाओं और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में निवेश करने का भी खुलासा हुआ है।

2009 से चल रही इस अवैध निर्माण की गतिविधियों की जांच के दौरान पता चला कि पवार ने अवैध निर्माण पर प्रति वर्ग फुट 150 रुपये की रिश्वत तय की, जिसमें से 50 रुपये अकेले उनके हिस्से में आते थे। शहरी क्षेत्रों में यह रिश्वत 20-25 रुपये जबकि ग्रीन जोन में 62 रुपये प्रति वर्ग फुट थी। इस दौरान 41 अवैध निर्माण को भी प्रशासन ने संरक्षण दिया था, जिनमें से कई को उच्च न्यायालय के आदेश पर तोड़ दिया गया, जिससे करीब 2500 परिवार प्रभावित हुए थे।

इस मामले में अनिल पवार के अलावा नगर निगम के कई अन्य अधिकारियों, बिल्डरों, और आर्किटेक्ट्स को भी आरोपी बनाया गया है। जुलाई 2024 में गिरफ्तार पवार और अन्य लोग अभी न्यायिक हिरासत में हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने अब तक ₹71 करोड़ की संपत्ति जब्त की है, जिनमें से ₹44 करोड़ की संपत्ति सीधे पवार से जुड़ी हुई है।

ईडी ने कहा है कि इस कार्रवाई से वसई-विरार क्षेत्र में भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण के खिलाफ कड़ा संदेश जाएगा। मामला मुंबई के स्पेशल PMLA कोर्ट में चल रहा है, जहां जल्द ही इस पर सुनवाई होगी।

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