बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राजनीतिक माहौल चरम पर पहुंच चुका है। नामांकन के दूसरे दौर में गुरुवार को पटना का प्रशासनिक माहौल पूरी तरह चुनावी रंग में रंग गया। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेज प्रताप यादव ने अपनी दादी स्वर्गीय राबड़ी देवी की तस्वीर लेकर नामांकन दाखिल किया, जबकि दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ पर्चा भरा।
तेज प्रताप का नामांकन भावनात्मक पलों से भरा रहा। नामांकन केंद्र पर पहुंचते ही उन्होंने कहा, “दादी की आशीर्वाद मेरे साथ है। यह तस्वीर मेरे लिए शक्ति और प्रेरणा का प्रतीक है। हम बिहार की आत्मा को बचाने आए हैं।” उनके समर्थक “लालू परिवार जिंदाबाद” और “तेज प्रताप भैया आगे बढ़ो” के नारों से पटना की सड़कों को गूंजा रहे थे।
दूसरी तरफ, सम्राट चौधरी के नामांकन ने भाजपा के अंदर अभूतपूर्व एकता का संदेश दिया। पटना से लेकर दरभंगा तक पार्टी कार्यकर्ता रैली के रूप में उन्हें नामांकन स्थल तक लेकर पहुंचे। चौधरी ने कहा, “यह चुनाव नया बिहार बनाने के संकल्प का है। जनता भ्रष्टाचार से मुक्त सरकार चाहती है, और हम वही देने निकले हैं।” उनके साथ कई वरिष्ठ नेताओं, जिनमें नित्यानंद राय और शाहनवाज हुसैन शामिल थे, ने ताकत का प्रदर्शन किया।
इस बीच, भाजपा ने बिहार चुनाव के लिए तीसरी सूची जारी की है जिसमें युवा और महिला उम्मीदवारों को खास तरजीह दी गई है। केंद्रीय नेतृत्व ने संकेत दिया है कि राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ “लोकल विकास और रोजगार” को इस बार मुख्य एजेंडा बनाया जाएगा।
उधर, महागठबंधन में सीट बंटवारे पर मतभेद अभी पूरी तरह सुलझ नहीं पाए हैं। कांग्रेस और राजद के बीच भागीदारी को लेकर बातचीत जारी है। सूत्रों के मुताबिक, कुछ प्रमुख सीटों पर दोनों दलों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। वहीं, मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आज सुबह अपना नामांकन दाखिल करते हुए दावा किया कि “बिहार फिर से युवाओं का नेतृत्व स्वीकार करेगा। जनता अब बदलाव चाहती है।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार चुनाव में “परिवार बनाम संगठन” का मुकाबला देखने को मिलेगा। एक तरफ तेजस्वी और तेज प्रताप यादव की पारिवारिक छवि है, तो दूसरी ओर भाजपा का संगठित और अनुशासित तंत्र अपनी ताकत दिखा रहा है।
चुनावी तापमान के बढ़ते ही पटना, गया, और मुजफ्फरपुर जैसे प्रमुख शहरों में सड़कों पर बैनर, पोस्टर और जुलूसों का सिलसिला तेज हो गया है। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं, जबकि निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को आचार संहिता के पालन के निर्देश दिए हैं।
बिहार की राजनीति में भावनाओं, जातीय समीकरण और विकास के वायदे का संगम एक बार फिर साफ दिखाई दे रहा है। दादी की तस्वीर थामे तेज प्रताप हों या विजय संकल्प के साथ सम्राट चौधरी — दोनों ही मैदान में उतर चुके हैं; अब असली परीक्षा वोट के जरिए जनता करने वाली है।

