लखनऊ – यूपी और उत्तराखंड की राज्यसभा की 11 सीटों के लिए निर्विरोध निर्वाचन के बाद उच्च सदन में 92 सांसदों की संख्या के साथ भाजपा और मजबूत हो गई है। दूसरी तरफ, विपक्षी कांग्रेस और घटकर 38 सीटों पर आ गई है। भाजपा की यह सदस्य संख्या उसकी अभी तक की सर्वोच्च संख्या है। हालांकि, उच्च सदन में एनडीए का बहुमत तक पहुंचना अभी दूर है।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की 11 राज्य सभा सीटों के लिए हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट शामिल थी। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा में अपनी सदस्य संख्या के हिसाब से आठ उम्मीदवार उतारे थे। वे सभी चुनकर आए हैं। इनमें तीन केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, सांसद अरुण सिंह और नीरज शेखर फिर से चुने गए हैं। यूपी के पूर्व डीजीपी बृजलाल, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्य, सीमा द्विवेदी और बीएल वर्मा भी चुने गए हैं। हरिद्वार दुबे भाजपा के पूर्व मंत्री रहे हैं।
लोकसभा में भाजपा के पास अपना बहुमत है और एनडीए के साथ वह काफी मजबूत है। राज्यसभा में भी भाजपा लगातार मजबूत होती जा रही है। हालांकि, उसके पास अपना या एनडीए का बहुमत नहीं है, लेकिन कई मामलों पर अन्नाद्रमुक, बीजद, टीआरएस और वाईएसआरसीपी जैसे दल उसको समर्थन देते हैं, जिससे उसके पक्ष में आसान बहुमत हो जाता है।
10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवारों ने नामांकन किए थे। नामांकन दाखिल करने के अंतिम समय में सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर प्रकाश बजाज ने नामांकन कर दिया था। इससे मुकाबला रोचक हो गया था। वहीं बसपा के उम्मीदवार रामजी गौतम के चार प्रस्तावों द्वारा नाम वापस लेने की बात कहने पर प्रक्रिया में सियासी मोड़ आ गया था। अंत में प्रकाश बजाज के नामांकन पत्रों में एक प्रस्तावक का नाम गलत होने पर उनका नामांकन खारिज कर दिया गया था। ऐसे में दस सीट के लिए सभी दस उम्मीदवार ही बचे थे, लिहाजा सोमवार को नामांकन वापसी का समय बीतने के बाद सभी को निर्विरोध निर्वाचित कर दिया गया।