Posted By : Admin

बस प्रधानी आ जाये, चाहे जान चली जाये

शामली-देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं लेकिन बढ़ते हुए मामलों के बाद भी आमजन सबक लेने को तैयार नहीं है और लोग बिल्कुल बेफिक्र नजर आ रहे हैं। पंचायत चुनाव का बिगुल बजते ही जहां ग्राम देहात में हलचल तेज हो गई है तो वही पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों के लिए जमा की जाने वाली धन राशि को जमा करने के लिए बैंकों के बाहर लोग लंबी-लंबी कतारें लगाए खड़े हैं जो कि सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। लाइन में लगे लोग इतने बेफिक्र दिखाई दे रहे हैं कि ना तो किसी ने भी मास्क लगा रखा है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है। इतना ही नहीं बैंकों के बाहर पुलिस प्रशासन की तरफ से सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कराने के लिए किसी भी पुलिसकर्मी की तैनाती नहीं की गई है। इस सब को देखते हुए यह कहने में कतई गुरेज नहीं होगा कि शामली में कोरोना के आँकड़े और तेजी से बढ़ सकते है।

जनपद शामली में पंचायत चुनाव को लेकर विभिन्न पदों पर किए जाने वाले आवेदन के लिए आवेदन पत्र लोगों ने लेना शुरू कर दिया है और आवेदन करने के लिए जमा की जाने वाली धनराशि को जमा करने के लिए बैंकों के बाहर लोग लंबी – लंबी कतार लगाए खड़े हैं और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की लगातार धज्जियां उड़ा रहे हैं। लाइन में खड़े लोगों में एक दो लोगो को छोड़कर किसी ने भी मास्क नहीं लगाया है और ना ही सामाजिक दूरी का पालन किया जा रहा है। इतना ही नहीं लोगों को सामाजिक दूरी के नियम का पालन कराने के लिए किसी भी पुलिसकर्मी की तैनाती नहीं की गई है और लोग एकाएक बेफिक्र बिना मास्क लगाए कतार में खड़े हैं। बिना मास्क लगाए लोगों का लाइन में खड़ा होना एक बात की ओर साफ इशारा कर रहा है कि जिस प्रकार लोग सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं उस लिहाज से जनपद शामली में कोरोना के आँकड़े और तेज़ी बढ़ सकते हैं। जब कतार में खड़े लोगों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह प्रधानी का चुनाव लड़ रहे हैं और उसकी फीस जमा कराने के लिए बैंक के बाहर लाइन में खड़े हैं लेकिन सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन करने के बारे में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आम जनता एक तो धूप में लाइन में लगी हुई है ऊपर से आप यह सब पूछ रहे हैं। 6सोशल डिस्टेंसिंग के नियम वहां कहां चले जाते हैं जब राजनीतिक लोग रैलियों का आयोजन करते हैं और बेहताशा भीड़ वहां पर इकट्ठा होती है।

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