कानपुर देहात- जिले में जहां एक और गांव की ग्रामीण जनता कोरोना त्रासदी से परेशान नजर आ रही थी और ग्रामीण इलाको के हजारो लोग इस त्रासदी मे बीमार पड़े है | वही अब कानपुर देहात में ग्रामीणों के सामने दूसरी समस्या दवाइयों और मेडिकल उपकरण को लेकर खड़ी हो गई है | कानपुर देहात जिले के बाजारों में मेडिकल उपकरणों के साथ-साथ दवाइयों और इंजेक्शन शॉर्ट हो गए हैं और जिन जगहों पर ये दवाइयां और मेडिकल उपकरण मिल भी रहे हैं तो वह प्रिंट रेट से कई गुना ज्यादा में बेचे जा रहे हैं | जिसके चलते गाव के लोग अब दवाइयो के अभाव मे मरने को मजबूर है | वही प्राइवेट हॉस्पिटल संचालको की माने तो दवाइया और उपकरण महगे होने के चलते मरीजो का इलाज भी महगा हो गया है | बात की जाए जिला प्रशासन की तो जिला प्रशासन मेडिकल उपकरण व दवाइयों की कालाबाजारी रोकने में नाकाम और फेल साबित होता नजर आ रहा है और जिले में दवाइयों और मेडिकल उपकरणों की कालाबाजारी चरम सीमा पर नजर आ रही है |
कानपुर देहात जिले में मेडिकल उपकरण और दवाइयो की कमी आगई है दवाइया और उपकरण बाजारो से गायब हो गए है | और जहा जो दवाइया और उपकरण मिल भी रहे है उनके एवज मे मेडिकल स्टोर वाले मनमाने दाम वसूल रहे है यही नहीं दवाइयो और मेडिकल उपकरण के कई गुना अधिक दामो पर मार्केट मे बेचे जा रहे है | जिसको लेकर भारत समाचार की टीम ने पड़ताल की, तब जिला प्रशासन के दावो की हकीकत की पोल खुल गई | जिले मे कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जिले में रोजाना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में हजारों लोग बीमार पड़े हुए हैं लेकिन उनके इलाज में प्रयोग होने वाली दवाइयां अब मार्केट से बाजारों से गायब हो गई हैं और जिस जगह जो दवाइया मिल रही है वो मेडिकल स्टोर संचालक उन दवाइयों के दाम कई गुना ज्यादा वसूलने में लगे हुए हैं | वही जब कुछ मेडिकल संचालकों से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट तौर पर बताया की दवाइयों के होलसेलर महंगी दवाइयां बेच रहे हैं जिसके चलते हम लोग या तो महंगी दवाइयां खरीदे या फिर उन दवाइयों को लेना बंद कर दें | फिलहाल हम लोगों ने प्रशासन के कड़े रुख को देखकर दवाइयों को बेचना बंद कर दिया है क्योंकि मार्केट से महंगी दवाइयां खरीद कर प्रिंट रेट से ज्यादा में नहीं बेच सकते | लिहाजा जिसके चलते हम लोगो के यहा दवाइया खत्म हो गई है | वही दवाइयों को लेकर बात की जाए तो बीमारी मे उपयोग होने वाली डॉक्सी, मल्टीविटामिन, फेवीफ्लू, डोलो, विटामिन सी इंजेक्शन, पेरासिटामोल, जिंक दवाइयों के साथ पल्स आक्सीमीटर, थर्मामीटर, ऑक्सीजन मास्क, स्टीम इनहेलेर समेत कई पर अधिक दाम वसूले जा रहे हैं | वही बात की जाए जिले के अधिकारियों की तो जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी अब इस कालाबाजारी को रोकने में फेल साबित हो रहे हैं और जिले की ग्रामीण क्षेत्र की जनता दवाइयों के अभाव में मरने को मजबूर है |
वही जिले के प्राइवेट अस्पतालो के डाक्टर का कहना है कि मार्केट मे दवाइयो इंजेक्सन समेत मेडिकल उपकरण महगे मिलने के कारण हम लोगो का इलाज मरीज को महगा हो रहा है और मार्केट मे कुछ दवाइयो और मेडिकल उपकरण न मिल पाने के कारण मरीजो का इलाज करने मे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है | अगर साकार और जिला प्रशासन कालाबाजारी बंद करवा दे और मार्केट मे दवाइया प्रिंट रेट पर मिलने लगे तो मरीज को हम लोग सस्ता इलाज दे पाएगे |
जिले के डीएम की माने तो जिले मे टीम 9 का गठन कर दिया गया है कोरोना महामारी से लेकर दवा आक्सीजन की कमी और कालाबाजारी नहीं होगी | जिसके लिए जिले के ड्रग्स अधिकारी समेत उच्च अधिकारियों को लगाया गया है | कालाबाजारी पर रोकथाम कि जाएगी |