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बाराबंकी के इस गांव में रहस्यमई मौतों से खौफ का माहौल,अब तक जा चुकी है दर्जनभर लोगों की जान

बाराबंकी- उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एक गांव में खांसी बुखार और ऑक्सीजन लेवल कम होने जैसे लक्षणों से मौतों का सिलसिला जारी है। इस गांव में अब तक करीब दर्जन भर लोगों की जान रहस्यमई तरीके से जा चुकी है और कई लोगों की तबीयत खराब है। इस गांव में काफी संख्या में सिर मुड़ाये लोगों को देख कर अजीब सा नजारा है। गांव में घुसने पर किसी का दसवां होता दिख रहा है, तो किसी का अंतिम संस्कार कर घरवाले लौट रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग ने गांव की ओर से आंखे बंद कर रखी हैं, इतनी माैत हाे जाने के बाद भी गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था के उचित इंतजाम नहीं हैं। गांव में स्वास्थ्य विभाग का उपकेंद्र भी है लेकिन वह भी खंडहर में तब्दील हो चुका है।

मामला तहसील सिरौलीगौसपुर क्षेत्र के कोटवाधाम का है। जहां रोज किसी न किसी की मौत रहस्यमई तरीके से हो रही है। इसका न तो कोई सरकारी लेखा-जोखा है और ना ही इन सभी की मौत का कारण ही स्पष्ट पता चल पाया है। कोविड से मिलती जुलती ऐसी मौतों को लेकर ग्रामीणों में भी डर का माहौल है। इनके परिजनों को भी इनकी मौत का कारण नहीं पता है। क्षेत्र के कई गांवों में दर्जनों लोग बुखार सांस लेने की दिक्कत और खासी जैसी मामूली बीमारी से दम तोड़ चुके हैं। इनमें से युवा वर्ग कुछ ज्यादा ही प्रभावित हैं। आलम ये है कि लोग कोरोना की बात कह कर इनके अंतिम संस्कार में जाने से भी कतरा रहे हैं। ऐसे में कई मौत के मामलों में कोविड जांच न हो पाने के कारण महज औपचारिकता भर मास्क लगाकर इनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है।

गांव के अभिषेक ने बताया कि उनके चाचा को वैक्सीन लगने के दूसरे दिन से बुखार आना शुरू हुआ और उसके बाद धीरे-धीरे ऑक्सीजन की समस्या शुरू हो गई। फिर उन्हें डाक्टरों को दिखाया गया। फिर हमने उन्हें कई जगहों भर्ती कराने की कोशिश की, लेकिन हमारी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। उनका ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरता गया और उनकी मौत हो गई।

गांव की नवनिर्वाचित प्रधान के पति ने बताया कि वहां रहस्यमई तरीके के करीब 11 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों को कोई बीमारी नहीं थी, बस कुछ उनको थोड़ा फीवर आया और उसके बाद उनकी मौत हो गई। प्रधानपति ने बताया कि गांव में अब टेस्टिंग शुरू हुई है। उनका कहना है कि वहां शुरुआत में वैक्सीनेशन हुआ, लेकिन ज्यादातर ग्रामीणों ने जागरुकता की कमी के चलते वैक्सीन नहीं लगवाई। उन्होंने बताया कि कोटवाधाम एक धार्मिक स्थल है और यहां दूर-दूर से लोग दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। ऐसे में यहां और ज्यादा सतर्कता की जरूरत है। अब प्रधानी का चुनाव जीतने के बाद हमारी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा सैनिटाइजेशन हो, जिससे इस महामारी को फैलने से रोका जा सके।

वहीं गांव के निवासी प्रेम नारायण ने बताया कि गांव की पीएचसी का भवन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। इसी के चलते यहां डाक्टर और बाकी स्टाफ के रुकता नहीं और ड्यूटी के बाद वापस चला जाता है। उन्होंने बताया कि यहां काफी संख्या में लोग आते हैं, लेकिन फिर भी कोई इस अस्पताल की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।

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