लखनऊ – लॉकडाउन की वजह से काम धंधा ठप हो गया है। इसके अलावा किसान भी बेहाल है। गेहूं-धान के किसानों को तो सरकारी मदद और मुआवजा भी मिल जाता है, लेकिन व्यवसायिक खेती करने वालों की दशा बेहद बुरा है। ऐसे ही उत्तर प्रदेश में पान के किसान हैं, जो परंपरागत खेती के अलावा व्यावसायिक खेती करते हैं। नवाबों के शहर लखनऊ के लोगों की नवाबियत में चार चांद लगा देने वाले पान की आज कौड़ियों में भी कीमत नहीं बची। कोरोनो और लॉक डाउन के चलते पान का व्यापार पूरी तरह ठप है। पान सड़ रहा है या फिर मुरझा रहा है। रोजाना होने वाली पान की बिक्री पूरी तरह से ठप हो गई है। कोई ख़रीदार न होने की वजह से पान फेकना पड़ रहा है, जिसके चलते,हर रोज भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पान के व्यापारियों की मानें तो मंडी न खुली होने की वजह से पान की सप्लाई बंद है, जिससे उन्हें लाखों का नुकसान हुआ है।
देेशभर मे अपने स्वाद से धमक जमाने वाले बांग्ला पान की खेती पर ,कोरोना का कहर टूट पड़ा है पान की खेती में लागत बहुत आती है सो कर्जा जुटाकर पान की खेती बोई गयी थी, लेकिन नवाबों के शहर लखनऊ के लोगों की नवाबियत में चार चांद लगा देने वाले पान की कीमत आज कौड़ियों बराबर भी नहीं बची। लॉक डाउन के चलते पान का व्यापार पूरी तरह ठप है । पान खेतो में ही सड़ रहा है , मुरझा रहा है। रोजाना होने वाली पान की बिक्री पूरी तरह से ठप हो गई है ।होठों को लालिमा देना वाले बांग्ला पान की बड़ी खेप विदेशों में जाया करती थी, लेकिन इस बार ये पान देश में ही प्रेमियों तक नहीं पहुँच पा रहा है । यूपी के 21 जिलों में पान की खेती होती है, और इसका लगभग 250 करोड़ का कारोबार है। पान किसान चेतराम बताते है कि इस बार पान की खेती से रोटी भी नही मिलने वाली।