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वर्तमान पीढ़ी के ज्ञानवर्धन के लिए पुलिस लाइंस व पीएसी वाहिनी में हो छोटा म्यूजियम -सीएम

लखनऊ – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि जिस भी फोर्स के साथ में उनका योग्य प्रशिक्षण-उपकरण व शस्त्र रहा है, वह हमेशा विजेता रहा है। हम सब इतिहास में इन बातों को पढ़ते और देखते रहे हैं। आज के समय में भी यह बातें उतनी ही महत्वपूर्ण हो जाती हैं। संप्रभु संपन्न सरकार व राष्ट्र इस बात का ध्यान रखते हैं कि वे आधुनिक तकनीक व अत्याधुनिक साधन में पिछड़ने न पाएं। जिस पुलिस फोर्स के लिए आंतरिक सुरक्षा व कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी होती है, उसे पता है कि तकनीक का महत्व क्या हो सकता है। सूचना के आदान-प्रदान के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी लेना व सटीक जानकारी सभी स्थलों पर पहुंचाने में पुलिस दूरसंचार विभाग की बड़ी भूमिका होती है।

सीएम योगी ने यह बातें पुलिस रेडियो मुख्यालय पर आयोजित पुलिस दूरसंचार स्थापना दिवस पर कहीं। यहां सबसे पहले सीएम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, फिर मुख्यमंत्री ने जेसी बोस टेक्नोलॉजी प्रदर्शनी का उद्घाटन कर अवलोकन किया। सीएम ने पहली से तीन अक्टूबर तक स्थापना दिवस पर होने वाले आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं।

कुंभ में किए गए पुलिस रेडियो विभाग के कार्य उत्कृष्ट कोटि की श्रेणी मेंदेश के सबसे बड़े सांस्कृतिक आयोजन 2019 कुंभ प्रयागराज का अवसर हमारी सरकार को प्राप्त हुआ था। यूपी में पहली बार इतना बड़ा आयोजन था। कुंभ का आयोजन हजारों वर्ष से चली आ रही विरासत का हिस्सा है, लेकिन आयोजन भव्य व सुव्यवस्थित-सुरक्षित तरीके से संपन्न हो जाए। यह देश-दुनिया के लिए कौतूहल का विषय था। उप्र वहीं, लेकिन उसी उप्र में पुलिस के कार्य करने का तरीका, व्यवहार व तकनीक अपनाई गई, उसके परिणाम को देश-दुनिया ने देखा। 24 करोड़ से अधिक श्रद्धालु प्रयागराज कुंभ में आए। 2019 में यह उपस्थिति इस बात को साबित करती है कि हर भारतीय परिवार से एक सदस्य ने प्रयागराज का दौरा किया। प्रयागराज कुंभ में आकर उन्होंने नए उत्तर प्रदेश की तस्वीर को देखा। आज यूपी के बारे में धारणा बदली है। यूपी किसी पहचान-प्रचार का मोहताज नहीं है। देश-विदेश के जिन लोगों ने आकर देखा, वे इसका संदेश लेकर गए। उस आयोजन में बेहतरीन तालमेल के जरिए पुलिस रेडियो विभाग के माध्यम से किए गए कार्य उत्कृष्ट कोटि की श्रेणी में गिने जा सकते हैं।

सीएम ने कहा की पुलिस लाइंस व पीएसी वाहिनी में छोटा म्यूजियम भी होना चाहिए, यह हमारे इतिहास को वर्तमान पीढ़ी व स्कूली बच्चों को बता सकें कि कैसे हमने शून्य से शिखर की यात्रा तय की। उस यात्रा को बढ़ाते-बढ़ाते हम कहां तक पहुंचे। हम हथियारों में कहां से कहां तक पहुंचे। आज पुलिस के पास अच्छे साधन-शस्त्र आ चुके, लेकिन हमने पुराने को संरक्षित करके म्यूजियम का अंग नहीं बनाया। डंडे से प्रारंभ होकर हम कहां पहुंच चुके और कहां तक इस यात्रा को जाना है।

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