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अगर सीने में हो रही हैं ये समस्या तो तुरंत डॉक्टर से लें सलाह

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में स्वास्थ्य का रख-रखाव कहीं पीछे छूट गया है। जिसके कारण आगे चलकर यह छोटी सी समस्या गंभीर बीमारी बन जाती है। कुछ ऐसा ही आजकल फेफड़ों की समस्याओं को लेकर चर्चा का विषय बनता जा रहा है…

दरअसल, फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन अगर आप इसके शुरुआती लक्षणों पर ध्यान दें तो इस बीमारी का आसानी से पता लगाया जा सकता है। यूके की एक कैंसर रिसर्च टीम के अनुसार, यह देखा गया है कि फेफड़ों के कैंसर के 79 प्रतिशत मामलों में अगर समय पर पता चल जाए तो इलाज के जरिए इस बीमारी को ठीक किया जा सकता है।

फेफड़ों के कैंसर के कई कारण हो सकते हैं… जैसे आनुवांशिकी, उम्र, अत्यधिक धूम्रपान, पारिवारिक इतिहास, खराब आहार और जीवनशैली इस बीमारी के खतरे को बढ़ा देते हैं।

फेफड़ों के कैंसर को साइलेंट किलर कहा जाता है। आमतौर पर यह दो तरह से होता है. गैर-लघु कोशिका कार्सिनोमा (एनएससीएलसी) और लघु कोशिका कार्सिनोमा (एससीएलसी)।

ये लक्षण फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। जैसे- तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहना, छाती में बहुत अधिक संक्रमण होना। खांसी के साथ खून आना, खांसते समय सांस लेने पर खून आना, लगातार थकान रहना भी इसके लक्षण हो सकते हैं।

वजन कम होना, भूख न लगना, चेहरे या गर्दन में सूजन, आवाज बैठना, सीने में घरघराहट इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

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