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Posted By : Admin

शिंदे ने ‘राम’ के नाम से दूरी बनाई, विधान परिषद अध्यक्ष चुनाव से लिया एक कदम पीछे

महाराष्ट्र की राजनीति में रोज नए मोड़ आते रहते हैं और एक बार फिर एकनाथ शिंदे के नाराज होने की खबरें सामने आई हैं। दरअसल, बीजेपी के विधान परिषद सदस्य राम शिंदे ने राज्य विधान परिषद अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार उनके साथ थे, लेकिन एकनाथ शिंदे की अनुपस्थिति ने सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चाओं को जन्म दिया। शिवसेना इस पद पर अपनी दावेदारी कर रही थी, लेकिन अब ऐसा लगता है कि उसकी उम्मीदों को झटका लगने वाला है।

शिवसेना की उम्मीदों पर संकट 

शिवसेना ने राज्य विधान परिषद अध्यक्ष पद के लिए उपाध्यक्ष नीलम गोरे को उम्मीदवार के तौर पर माना था, लेकिन बीजेपी की रणनीति ने शिवसेना की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया। राम शिंदे की उम्मीदवारी बीजेपी की एक सोची-समझी चाल का हिस्सा है, क्योंकि पार्टी के पास विधान परिषद में बहुमत है और अब वह दोनों सदनों में अध्यक्ष पद पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है। बीजेपी ने राम शिंदे को इस पद के लिए इसलिए चुना क्योंकि वे धनगर समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह चुनाव बीजेपी के सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

शिवसेना के लिए नई चुनौतियां 

शिवसेना के लिए यह स्थिति मुश्किल बन सकती है, क्योंकि 2022 और 2023 में शिवसेना और एनसीपी के बीच हुई टूट के बाद विधान परिषद अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाया था। शिवसेना इस पद पर अपना दावा मजबूत करना चाहती थी, लेकिन बीजेपी की मजबूत स्थिति ने उसकी संभावनाओं को काफी कमजोर कर दिया। अब शिवसेना के नेताओं के बीच यह सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी की मौजूदा रणनीति सही है, या उसे अपनी प्राथमिकताओं में बदलाव लाने की जरूरत है।

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