
बेंगलुरु के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर से करीब 12 करोड़ रुपये की ठगी करने के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के नाम तरुण और करन हैं, जिन्होंने ED और कस्टम अधिकारियों के रूप में खुद को पेश कर टेक विशेषज्ञ विजयकुमार का डिजिटल अरेस्ट किया और फिर उनके बैंक खाते से पैसे ट्रांसफर कर ठगी को अंजाम दिया।
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आरोपियों को इस बात की जानकारी मिली कि विजयकुमार ने शेयर बाजार में भारी निवेश किया है, जिसके चलते उसके पास लगभग 11.84 करोड़ रुपये जमा थे। बेंगलुरु के GKVK इलाके में रहने वाले विजयकुमार को जब तक यह एहसास हुआ कि वह डिजिटल ठगी का शिकार हो चुका है, तब तक उसकी सारी जमा पूंजी खो चुकी थी। 12 दिसंबर को उसने पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई, जिसमें बताया कि 11 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच डिजिटल ठगों ने उसे 11.84 करोड़ रुपये का चूना लगाया।
ठगी का तरीका
विजयकुमार ने पुलिस को बताया कि 11 नवंबर को उसे एक IVR फोन आया, जिसमें बताया गया कि उसकी मोबाइल नंबर का गलत इस्तेमाल हुआ है और अगर उसने कार्रवाई नहीं की, तो उसका फोन बंद हो जाएगा। इसके बाद 8791120937 नंबर से एक और कॉल आई, जिसमें सामने वाले ने खुद को मुम्बई क्राइम ब्रांच का अफसर बताया और कहा कि उसके आधार कार्ड से जुड़े एक केस में उसका नाम सामने आया है। उसे डराया गया कि उसे जेल भेज दिया जाएगा।
फिर 7420928275 नंबर से कस्टम और ED का अधिकारी बनकर एक ठग ने विजयकुमार को डिजिटल अरेस्ट करने की धमकी दी और उसे दो एप्लिकेशन डाउनलोड करने को कहा। इसके बाद वीडियो कॉल के जरिए एक और ठग ने खुद को पुलिस अधिकारी बताते हुए कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, और उसे तथा उसके परिवार को जेल भेज दिया जाएगा।
ध्यान का फायदा उठाया
ठगों ने विजयकुमार को पूरी तरह डरा दिया और उसे बैंक अकाउंट की जानकारी ले ली। उसे यह बताया गया कि उसे अपने पैसे RBI के अकाउंट में ट्रांसफर करने होंगे और वेरिफिकेशन के बाद पैसे वापस मिल जाएंगे। विजयकुमार ने 11 नवंबर को ICICI बैंक के खाते में 75 लाख रुपये जमा किए, फिर अगले दिन UCO बैंक के खाते में 3.14 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। इसके बाद ठगों ने सिलसिलेवार तरीके से कई अन्य बैंक खातों में 97 लाख, 25 लाख, 1 करोड़, 56 लाख, 96 लाख और 2 लाख रुपये जमा करवाए।
जांच की शुरुआत
ठगों ने विजयकुमार से कहा कि 12 दिसंबर तक उसके पैसे वापस उसके खाते में आ जाएंगे। जब पैसे वापस नहीं आए, तो विजयकुमार ने संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन सभी फोन बंद हो गए। बैंक से संपर्क करने पर यह पता चला कि पैसे पहले ही निकाल लिए गए थे और सभी खातों को ब्लॉक नहीं किया जा सका। इसके बाद विजयकुमार को यह समझ में आया कि उसने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ठगी का शिकार हो गया है। अब बेंगलुरु साइबर क्राइम पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और अज्ञात आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज की है।