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सज्जन कुमार को मिली उम्रकैद, 1984 सिख दंगा मामले में अदालत ने सुनाया फैसला

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 21 फरवरी को अदालत ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था, जबकि पीड़ित पक्ष ने मृत्युदंड की मांग की थी। अदालत ने पहले ही 12 फरवरी को सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था और तिहाड़ जेल प्रशासन से उनके मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की रिपोर्ट मांगी थी। यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मांगी गई थी, क्योंकि मृत्युदंड के मामलों में ऐसी रिपोर्ट जरूरी मानी जाती है।

किस मामले में सुनाई गई सजा?

यह मामला सरस्वती विहार में 1984 के दंगों के दौरान जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा हुआ है। दंगों के वक्त सज्जन कुमार बाहरी दिल्ली से कांग्रेस सांसद थे। वर्तमान में वह पहले से ही एक अन्य सिख विरोधी दंगों के मामले में तिहाड़ जेल में बंद हैं और आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

शिकायतकर्ता ने की थी मौत की सजा की मांग

दंगों के दौरान अपने पति और बेटे को खोने वाली महिला ने अदालत में सज्जन कुमार को फांसी की सजा देने की मांग की थी। शिकायतकर्ता के वकील एचएस फुल्का का कहना था कि सज्जन कुमार ने भीड़ को भड़काकर नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और हत्याओं के लिए उकसाया, इसलिए उन्हें मृत्युदंड से कम कोई भी सजा नहीं मिलनी चाहिए।

1 नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे की हत्या कर दी गई थी। वकील एचएस फुल्का ने यह भी बताया कि सज्जन कुमार को दिल्ली हाई कोर्ट ने राज नगर, दिल्ली छावनी में हुए दंगों के एक अन्य मामले में भी पांच हत्याओं के लिए दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा दी थी। यह सभी हत्याएं 1984 के सिख नरसंहार का ही हिस्सा थीं।

सिख विरोधी दंगों में कितने मामले हुए दर्ज?

1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए गठित नानावटी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार,

  • दिल्ली में कुल 587 एफआईआर दर्ज की गई थीं।
  • इन दंगों में 2,733 लोगों की मौत हुई थी।
  • इनमें से 240 मामले अज्ञात बताकर बंद कर दिए गए थे।
  • 250 मामलों में आरोपी बरी हो गए।
  • केवल 28 मामलों में दोषसिद्धि हुई, जिसमें करीब 400 लोगों को दोषी ठहराया गया।
  • इनमें से 50 लोगों को हत्या के आरोप में सजा दी गई।

सज्जन कुमार पर 1 और 2 नवंबर 1984 को दिल्ली के पालम कॉलोनी में पांच लोगों की हत्या के आरोप भी लगे थे। दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें इस मामले में भी आजीवन कारावास की सजा दी थी। उनकी अपील फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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