
मुंबई: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई स्थित प्रसिद्ध लीलावती अस्पताल में कथित काला जादू से जुड़े विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। मौजूदा ट्रस्टियों ने पूर्व ट्रस्टियों पर घोटाले और काला जादू करने का आरोप लगाया था, जिसे अब पूर्व ट्रस्टी चेतन मेहता ने पूरी तरह निराधार और दुर्भावनापूर्ण बताया है। उन्होंने सकूरा एडवाइजरी के माध्यम से एक बयान जारी कर कहा कि यह आरोप सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद बदनाम करने की साजिश का हिस्सा हैं।
पूर्व ट्रस्टी चेतन मेहता का पक्ष
चेतन मेहता के वकील सिमरन सिंह ने स्पष्ट किया कि उनके मुवक्किल वर्ष 2007 से लीलावती अस्पताल के ट्रस्टी रहे हैं और उन्होंने अपनी भूमिका में पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कार्य किया है। वकील के अनुसार, चेतन मेहता के कार्यकाल में लीलावती अस्पताल को एक विश्वस्तरीय चिकित्सा संस्थान के रूप में पहचान मिली, जहां सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम कार्यरत है।
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में अस्पताल का वार्षिक टर्नओवर 200 करोड़ रुपये से बढ़कर 500 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि 250 करोड़ रुपये की राशि चैरिटी के रूप में दी गई है। इसके अलावा, अस्पताल की जमा पूंजी भी 10 करोड़ रुपये से बढ़कर 500 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
सिमरन सिंह ने आगे कहा, “मौजूदा ट्रस्टियों द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। इनका मकसद केवल सत्ता हथियाना है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद, जिसने उनके अवैध दावों को कमजोर कर दिया है, वे मीडिया में सनसनी फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। काला जादू के आरोप पूरी तरह निराधार हैं और केवल ध्यान भटकाने के लिए लगाए जा रहे हैं।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा ट्रस्टी अदालत के पुराने मामलों को दोबारा उठाकर एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि ये मुद्दे पहले ही कानूनी रूप से निपटाए जा चुके हैं।
क्या है काला जादू का मामला?
लीलावती अस्पताल के मौजूदा ट्रस्टी प्रशांत मेहता और कार्यकारी निदेशक परमबीर सिंह (पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर) ने दावा किया कि पूर्व ट्रस्टियों ने ट्रस्ट के अध्यक्ष के केबिन में काला जादू किया था। प्रशांत मेहता के अनुसार, जब उन्होंने इस कमरे का इस्तेमाल शुरू किया तो कुछ पूर्व कर्मचारियों ने उन्हें बताया कि यहां अतीत में काला जादू किया गया था।
इस संदेह के आधार पर प्रशांत मेहता ने कमरे की खुदाई करवाई, जिसमें फर्श के नीचे से आठ कलश मिले। इन कलशों में कथित रूप से इंसानी हड्डियां, बाल और काला जादू से जुड़े अन्य वस्तुएं मिलीं।
यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और अस्पताल प्रशासन में गुटबाजी का संकेत दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले पर कानूनी दृष्टिकोण से क्या प्रभाव पड़ता है, यह देखने वाली बात होगी।