
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने हाल ही में मुर्शिदाबाद जिले के उन इलाकों का दौरा किया, जो हालिया हिंसा से प्रभावित हुए थे। इस दौरान उन्होंने हिंसा झेल चुके लोगों से मुलाकात कर उनकी बातें सुनी और उनके दुख-दर्द को समझने की कोशिश की। इससे पहले, भाजपा के राज्य अध्यक्ष सुकांत मजूमदार कुछ पीड़ित परिवारों को लेकर राजभवन पहुंचे थे, जहां उन्होंने राज्यपाल से मिलकर अपनी परेशानियों को साझा किया।
11 और 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद के सुती, धुलियान और जंगीपुर जैसे क्षेत्रों में नए वक्फ कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भारी हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में अब तक कम से कम तीन लोगों की जान चली गई है। हालात को काबू में लाने के लिए राज्य पुलिस ने नौ सदस्यीय एक जांच समिति गठित की है, जो हिंसा की वजहों और घटनाक्रम की जांच करेगी।
इस मामले में जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर उंगलियां उठाई हैं, वहीं विपक्षी दलों ने राज्य सरकार और ममता बनर्जी को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराया है।
17 अप्रैल को सुकांत मजूमदार एक बार फिर राजभवन पहुंचे, इस बार उनके साथ मुर्शिदाबाद में हिंसा के चलते बेघर हुए कई परिवार भी थे। उन्होंने राज्यपाल को बताया कि वे अब बेहद कठिन हालात में हैं और उन्हें न तो रोजगार मिल रहा है और न ही सुरक्षित माहौल। पीड़ितों ने राज्यपाल से आर्थिक सहायता, नौकरी और स्थायी केंद्रीय सुरक्षा बल की तैनाती की मांग की।
कलकत्ता हाई कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा दिए गए हलफनामे के अनुसार, जिस दिन हिंसा हुई, उस दिन लगभग 10,000 लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई थी। कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों की पिस्तौलें छीन ली थीं, और भीड़ में मौजूद कुछ उपद्रवियों के पास घातक हथियार भी थे। शुरुआती भीड़ पीडब्ल्यूडी ग्राउंड पर जमा हुई, फिर उसका एक हिस्सा उमरपुर की ओर बढ़ते हुए नेशनल हाईवे को जाम कर बैठा।
स्थिति तब और बिगड़ गई जब उपद्रवियों ने SDPO की ग्लॉक पिस्तौल छीन ली और उनकी सरकारी गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। जवाब में पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नॉन-लीथल हथियारों से कार्रवाई की, लेकिन इससे भीड़ और उग्र हो गई और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस की अतिरिक्त टीमों को बुलाया गया, जिन्होंने दो भागों में बंटकर चार घंटे के भीतर हाईवे को खाली कराया।