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जल संकट के खिलाफ इगतपुरी की महिलाओं का हल्ला बोल, मुंबई नहर पर प्रदर्शन, डैम पर पुलिस मुस्तैद

महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी तालुका में पानी की गंभीर समस्या को लेकर स्थानीय लोगों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को महिलाओं ने अपनी नाराजगी जताने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने वैतरणा बांध की मुंबई कैनाल में कूदकर विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं ने अपनी सुरक्षा के लिए रस्सियों का इस्तेमाल किया ताकि बहाव में न बह सकें।

इस घटना के बाद जलसंपदा विभाग हरकत में आया और फिलहाल मुंबई को भेजे जा रहे कैनाल का पानी तुरंत रोक दिया गया। हालात की गंभीरता को देखते हुए बांध परिसर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि कोई अप्रिय स्थिति पैदा न हो।

आदिवासी इलाकों की समस्या को लेकर मांगें तेज

प्रदर्शनकारी ‘एल्गार कष्टकरी संगठन’ और जलसंपदा विभाग के अधिकारियों के बीच लगातार बातचीत चल रही है। आंदोलनकारियों की प्रमुख मांग है कि आदिवासी क्षेत्रों में जल संकट को तत्काल दूर किया जाए और जलजीवन मिशन के अंतर्गत हो रहे कार्यों की पारदर्शी जांच की जाए। इगतपुरी तालुका लंबे समय से पानी की कमी से जूझ रहा है, जहां कई लोग दैनिक जरूरतों के लिए पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। कुछ क्षेत्रों में टैंकरों की संख्या बढ़ाई गई है, लेकिन यह अब भी अपर्याप्त है।

17 गांवों में टैंकरों से चल रही है जलापूर्ति

हालांकि इगतपुरी को हर साल औसतन 3500 मिमी बारिश मिलती है, फिर भी 17 गांवों को अब भी 18 टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही और असंवेदनशीलता के चलते खासकर आदिवासी इलाकों में हालात बदतर हो गए हैं। जिन गांवों को टैंकरों के सहारे पानी दिया जा रहा है, उनमें वालविहिर, मंजरगांव, सोनोशी, आधारवाड़, मैदारा-धनोशी, कुरुंगवाड़ी, अंबेवाड़ी, चिंचले खैरे, खेड़, भावली बुद्रुक, अवलखेड, वसाली, वाघेरा, मुंडेगांव, खैरगांव, भारवाज-निरपन और कलुस्टे जैसे नाम शामिल हैं।

तहसील कार्यालय को शेवगेदांग, करोनले और ताकेड बुद्रुक गांवों में भी टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाने के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।

बांधों में घटा जलस्तर, हालात चिंताजनक

प्रशासन की रिपोर्टों के अनुसार, इगतपुरी तालुका के कई बड़े बांधों में जल संग्रहण 50% से भी नीचे पहुंच गया है। कुछ बांधों का जलस्तर तो लगभग समाप्ति की कगार पर है। यह स्थिति आने वाले दिनों में और भी गंभीर संकट को जन्म दे सकती है, जिससे न केवल ग्रामीण जनता प्रभावित होगी, बल्कि पूरे क्षेत्र की जल आपूर्ति व्यवस्था चरमरा सकती है।

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