
नई दिल्ली: हाल ही में जम्मू-कश्मीर, गुजरात और लेह-लद्दाख में भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। राहत की बात यह रही कि इन झटकों से किसी प्रकार की जानमाल की हानि नहीं हुई। गुजरात में शुक्रवार देर रात रिक्टर स्केल पर 3.4 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया, जबकि जम्मू-कश्मीर में 2.7 तीव्रता का भूकंप आया। वहीं, लेह-लद्दाख में भूकंप की तीव्रता 3.9 मापी गई।
गुजरात भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है। गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (GSDMA) के अनुसार, पिछले दो सौ वर्षों में इस क्षेत्र में नौ बड़े भूकंप आ चुके हैं। सबसे भयावह भूकंप 26 जनवरी 2001 को कच्छ में आया था, जिसे भारत के इतिहास का तीसरा सबसे बड़ा भूकंप माना जाता है। इस त्रासदी में लगभग 13,800 लोगों की जान गई थी और 1.67 लाख से अधिक लोग घायल हुए थे।
भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का उपयोग किया जाता है। इसके स्तर के अनुसार झटकों की गंभीरता का अनुमान लगाया जा सकता है:
- 0 से 1.9: केवल सिज़्मोग्राफ़ से ही पता चलता है
- 2 से 2.9: बहुत हल्के कंपन महसूस होते हैं
- 3 से 3.9: ऐसा लगता है मानो कोई भारी गाड़ी पास से गुजरी हो
- 4 से 4.9: घर के सामान गिर सकते हैं
- 5 से 5.9: भारी फर्नीचर भी हिल सकता है
- 6 से 6.9: इमारतों की नींव को नुकसान हो सकता है
- 7 से 7.9: इमारतें गिरने का खतरा बढ़ जाता है
- 8 से 8.9: भारी तबाही और सुनामी की आशंका
- 9 या उससे अधिक: अत्यधिक विनाशकारी, तीव्र कंपन महसूस होता है
भूकंप क्यों आते हैं?
भूकंप पृथ्वी की सतह के भीतर होने वाली प्राकृतिक और भूगर्भीय गतिविधियों के कारण आते हैं। खासकर टेक्टोनिक प्लेटों की हलचलें इसके पीछे प्रमुख कारण होती हैं। भारत में हिमालय क्षेत्र विशेष रूप से भूकंप संभावित क्षेत्र है, क्योंकि यहां भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टकराहट लगातार जारी रहती है। इस टकराव से जो ऊर्जा बनती है, वही समय-समय पर भूकंप के रूप में सामने आती है।