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हरियाणा की राजनीति में हलचल, कांग्रेस भूपेंद्र हुड्डा को दे सकती है बड़ी जिम्मेदारी, शैलजा गुट को भी साधने की कोशिश

हरियाणा कांग्रेस में जल्द ही बड़ा फेरबदल होने की संभावना है। पार्टी में लंबे समय से चल रही गुटबाज़ी को खत्म करने और संगठन को मज़बूत करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व अहम फैसले लेने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल का नेता बनाया जा सकता है। यदि ऐसा होता है, तो सात महीने बाद विपक्ष को विधानसभा में नेता मिल जाएगा।

इसके साथ ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बदलाव करने की योजना बना रही है। माना जा रहा है कि कुमारी शैलजा के समर्थक खेमे से किसी नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी जा सकती है। पार्टी इस बदलाव के ज़रिए जाट और दलित वोट बैंक के संतुलन को साधना चाहती है, साथ ही हुड्डा, शैलजा और रणदीप सुरजेवाला गुटों में तालमेल भी बिठाना चाहती है।

प्रदेश संगठन में पिछले कई वर्षों से जारी खींचतान का ही नतीजा है कि 2013 के बाद से हरियाणा कांग्रेस में पूरी तरह से संगठित ढांचा नहीं बन पाया है। यही वजह है कि आज तक पार्टी न तो विधायक दल का नेता तय कर सकी है और न ही नया प्रदेश अध्यक्ष।

अब कांग्रेस हाईकमान ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई है, जिसने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं। इसके तहत विधायक दल का नेता और जिला स्तर के नए अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया एक साथ पूरी की जाएगी।

गुजरात में लागू पायलट मॉडल की तर्ज पर अब हरियाणा और मध्य प्रदेश में भी ज़मीनी स्तर पर फीडबैक लेकर जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए एक केंद्रीय पर्यवेक्षक और तीन राज्य स्तरीय पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाएंगे, जो संगठनात्मक मजबूती के लिए स्थानीय कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेकर केंद्रीय नेतृत्व को सुझाव देंगे।

इस नए मॉडल से पार्टी गुटबाज़ी पर अंकुश लगाना चाहती है और 12 साल बाद हरियाणा कांग्रेस को नए जिला अध्यक्ष मिलने की उम्मीद है, जिससे पार्टी आगामी चुनावों के लिए खुद को बेहतर ढंग से तैयार कर सके

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