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10 मिनट की डिलीवरी का कड़वा सच: ब्लिंकिट कर्मचारी ने बयां किया दबाव और जोखिम भरा अनुभव

आजकल लोग 10 मिनट में ग्रॉसरी डिलीवरी को एक सामान्य सुविधा मान चुके हैं, लेकिन इसके पीछे काम करने वाले कर्मचारियों की हालत क्या है, इसका अंदाजा बहुत कम लोगों को है। हाल ही में एक ब्लिंकिट कर्मचारी ने रेडिट पर पोस्ट शेयर करते हुए इस तंत्र की असलियत सबके सामने रखी है।
यह कर्मचारी, जो पढ़ाई के साथ-साथ ब्लिंकिट में पिकर और पैकर की नौकरी कर रहा है, ने बताया कि डिलीवरी स्टाफ पर भारी दबाव डाला जाता है। “हमसे उम्मीद की जाती है कि हम गोदाम के अंदर दौड़ें और समय पर ऑर्डर तैयार करें। PPI यानी प्रति पिकिंग आइटम के आंकड़ों पर निगरानी होने से तनाव और बढ़ जाता है,” उसने लिखा।
कर्मचारी ने यह भी बताया कि यह काम सिर्फ शारीरिक रूप से नहीं, मानसिक रूप से भी थकाने वाला है। समय की पाबंदी इतनी सख्त है कि कई बार चोट लगने या दुर्घटना हो जाने के बाद भी कर्मचारी को आराम नहीं दिया जा
ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट और जेप्टो जैसी कंपनियां आज शहरी जीवन का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन उनकी ‘अल्ट्राफास्ट’ सेवा को बनाए रखने के लिए ग्राउंड लेवल पर काम कर रहे लोगों को काफी संघर्ष करना पड़ता है।
रेडिट पर शेयर की गई इस पोस्ट में कर्मचारी ने उपभोक्ताओं से भी अपील की कि वे 10 मिनट की सुविधा के पीछे छिपे मानवीय मूल्य को समझें। “ये सर्विस जितनी फास्ट दिखती है, उतनी ही खतरनाक भी है – खासतौर पर हमारे लिए,” उसने लिखा। यह पोस्ट अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और लोगों को इस सेवा के पीछे छिपे हकीकत पर सोचने को मजबूर कर रही है |

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