पश्चिम एशिया में हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। इजरायल ने ईरान के खिलाफ एक बड़ा सैन्य अभियान चलाते हुए उसकी कई मिलिट्री और परमाणु ठिकानों पर हमला किया है। इस हमले में कई वैज्ञानिकों और सैन्य कमांडरों की मौत की खबर है। इजरायली सरकार ने इस ऑपरेशन को “खास सैन्य कार्रवाई” बताया है। शुक्रवार, 13 जून की सुबह इजरायल की सेना ने ईरान की राजधानी तेहरान सहित कई इलाकों में बमबारी और मिसाइल हमले किए। इन हमलों में ईरान के कई अहम मिलिट्री और न्यूक्लियर ठिकाने पूरी तरह तबाह हो गए। यह कार्रवाई ईरान की ओर से बढ़ते खतरे के जवाब में की गई है, ऐसा इजरायली सेना का कहना है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह विशेष अभियान ईरान की ओर से मिल रहे खतरों को रोकने के लिए जरूरी था। उन्होंने कहा, “हम तब तक कार्रवाई करते रहेंगे जब तक खतरे पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाते।” इस बीच इजरायल ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है और अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया है। ईरान में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने वहां रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। तेहरान स्थित भारतीय दूतावास ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें, भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें। इसके अलावा दूतावास के सोशल मीडिया अकाउंट्स से भी जुड़े रहने को कहा गया है।जानकारों के अनुसार, इजरायल की इस सैन्य कार्रवाई के बाद ईरान की ओर से पलटवार तय माना जा रहा है। मिसाइल या ड्रोन अटैक की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, इस हमले के समय अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को लेकर चल रही बातचीत भी ठप हो गई है, जिससे क्षेत्र में अस्थिरता और बढ़ गई है। इस बीच अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि यह हमला इजरायल की ओर से एकतरफा सैन्य कार्रवाई है और इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है। वॉशिंगटन ने तेहरान को संदेश भेजते हुए खुद को इस हमले से अलग कर लिया है। यह हमला न केवल इजरायल-ईरान संबंधों को और खराब कर सकता है, बल्कि पूरी खाड़ी क्षेत्र को हिंसा की ओर धकेलने की आशंका भी बढ़ा रहा है।

