योगी सरकार ने उत्तर प्रदेश में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग शुरू किया है। अब खनन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए AI, ड्रोन और सैटेलाइट की मदद ली जा रही है। अब तक 21,477 अवैध खनन और ओवरलोडिंग में शामिल वाहनों को ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है।खनन विभाग ने प्रदेश में 57 स्थानों पर AI और IoT आधारित चेकगेट्स स्थापित किए हैं।
ये चेकगेट्स वाहनों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और वेट-इन-मोशन तकनीक के जरिए ओवरलोड वाहनों की पहचान करते हैं। परिवहन विभाग भी इस अभियान में सहयोग दे रहा है।खनन कार्य में लगे वाहनों में AIS140 जीपीएस डिवाइस लगाए जा रहे हैं, जो रियल-टाइम में वाहन की लोकेशन ट्रैक करते हैं और निर्धारित रास्ते से भटकने पर तुरंत अलर्ट भेजते हैं। इसके अलावा, MIS रिपोर्ट के माध्यम से विभाग यह सुनिश्चित करता है कि कोई वाहन नियमों का उल्लंघन न करे।ड्रोन से खनन क्षेत्र का वॉल्यूमेट्रिक विश्लेषणड्रोन तकनीक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ड्रोन की मदद से खनन क्षेत्र की लंबाई, चौड़ाई और गहराई मापी जाती है, जिससे यह पता चलता है कि निर्धारित सीमा से अधिक खनन तो नहीं हुआ।
वॉल्यूमेट्रिक एनालिसिस के जरिए निकाली गई मिट्टी, रेत या पत्थर की मात्रा का सटीक अनुमान लगाया जाता है, जिसके आधार पर कार्रवाई की जाती है।खनन विभाग की PGRES लैब सैटेलाइट डेटा (जैसे LISS-IV, गूगल अर्थ और Arc-GIS) का उपयोग करके पूरे प्रदेश में खनन गतिविधियों पर निगरानी रखती है। इससे न केवल अवैध खनन का पता लगाया जा रहा है, बल्कि नए खनिज क्षेत्रों की खोज भी हो रही है। योगी सरकार ने खनिज परिवहन करने वाले वाहनों के मालिकों (ट्रांसपोर्टरों) को हितधारक मानकर उनका पंजीकरण शुरू किया है, ताकि हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित हो

