प्रयागराज – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बिना धर्म बदले विपरीत धर्म के लोगों की शादी वैध नहीं मानी जाएगी. कोर्ट ने इस तरह की शादियों को कानून का उल्लंघन बताया है. कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज मंदिर में कानून का उल्लंघन कर नाबालिग लड़की का शादी प्रमाणपत्र जारी किया जा रहा है.
कोर्ट ने प्रदेश के गृह सचिव को आर्यसमाज की सोसायटियों की जांच का निर्देश दिया.कोर्ट ने कहा कि ऐसे आर्य समाज की सोसायटियों की जांच की जाए जो विपरीत धर्म के जोड़ो की शादी का प्रमाणपत्र जारी कर रहें हैं. हाईकोर्ट ने मामले में अनुपालन रिपोर्ट के लिए 29 अगस्त की तारीख तय की है. अगली सुनवाई पर गृह सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा के जरिए जांच रिपोर्ट देनी होगी.
महराजगंज के सोनू उर्फ सहनूर ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याची के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज है. याची ने हाईकोर्ट से मुकदमे की कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी. याची के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उसने पीड़िता से शादी कर ली है. मौजूदा समय में याची बालिग हो गया है और आर्य समाज मंदिर में उसने पीड़िता से शादी की है. इस आधार पर याची के खिलाफ दर्ज मुकदमे की कार्यवाही को रद्द किया जाए. कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से पेश वकील ने याचिका का विरोध किया, कहा याची और युवती दोनों विपरीत धर्म के हैं. बिना धर्म परिवर्तन किए की गई शादी को सरकारी वकील ने अवैध बताया. कहा याची ने तो धर्म परिवर्तन किया है और न ही शादी का पंजीकृत कराया है.कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा आर्य समाज सोसायटियों की तरफ से फर्जी शादियां और नाबालिगों को प्रमाण पत्र देने के कई मामले सामने आए हैं.
कोर्ट ने कहा ये सोसाइटियां कानून का उल्लंघन कर शादी प्रमाण पत्र बांट रहें हैं. हाईकोर्ट ने कहा ऐसे लोगों के खिलाफ जांच कर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए. कोर्ट ने याची के खिलाफ दर्ज मामले की कार्यवाही रद्द करने से इंकार कर दिया. जस्टिस प्रशांत कुमार की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई की.

