जैसे-जैसे भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों में स्थिरता और संवाद के संकेत दिखने लगे हैं, पाकिस्तान ने एक नई रणनीति के तहत चीन के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में धार्मिक-सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने की पहल की है।सूत्रों का मानना है कि यह एक सॉफ्ट पॉवर डिप्लोमेसी है, जो भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को संतुलित करने का प्रयास हो सकता है।
हाल ही में पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के प्रतिनिधियों ने शिनजियांग प्रांत के काशगर शहर में आयोजित एक विशेष धार्मिक सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। यह सम्मेलन ऐसे समय में हुआ है जब भारत और चीन के बीच सीमा तनाव कम करने को लेकर कई स्तरों पर सकारात्मक संवाद चल रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान इस धार्मिक मंच का उपयोग चीन के साथ सांस्कृतिक और वैचारिक जुड़ाव को गहराने के लिए कर रहा है। इससे न सिर्फ बीजिंग से उसका गठजोड़ और मज़बूत होगा, बल्कि क्षेत्रीय कूटनीति में भारत-चीन के संभावित समीकरणों के विरुद्ध उसे एक वैकल्पिक लाभ भी मिल सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को यह आशंका है कि यदि भारत और चीन के बीच व्यापारिक और सुरक्षा मामलों में स्थायित्व बढ़ा, तो क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों में वह और हाशिए पर जा सकता है। इसी वजह से पाकिस्तान, विशेषकर शिनजियांग के उइगर मुस्लिम समुदाय और चीन के अन्य इस्लामिक नेटवर्क के साथ संबंधों को गहराकर धार्मिक आधार पर रणनीतिक कूटनीति अपनाने की कोशिश कर रहा है।

