उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने समाजवादी पार्टी (सपा) के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन के उत्तराखंड क्लाउडबर्स्ट को धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर कार्रवाई से जोड़ने वाले बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। मसूद ने हसन को “मानसिक रूप से बीमार” करार देते हुए कहा कि ऐसे बयान देने वाले लोगों को “अल्लाह का डर” रखना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के बयान समाज में नफरत फैलाते हैं और इन्हें रोका जाना चाहिए।
सपा नेता डॉ. एसटी हसन ने उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदाओं को धार्मिक असहिष्णुता से जोड़ा। उन्होंने दावा किया कि इन राज्यों में “अन्य धर्मों का सम्मान न होने” और विशेष रूप से मुस्लिम धार्मिक स्थलों, जैसे दर्गाहों, पर बुलडोजर कार्रवाई के कारण ये आपदाएं आईं। हसन ने कहा, “इस दुनिया को चलाने वाला कोई और है, जब उसका इंसाफ होता है, तो कोई नहीं बच सकता।” उन्होंने सुझाव दिया कि धार्मिक स्थलों को बलपूर्वक तोड़ने के बजाय शांति से खाली कराया जाना चाहिए।
हसन के बयान की राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना हुई। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शाहबुद्दीन रजवी ने हसन को चेतावनी देते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं पर इस तरह की टिप्पणी “बिल्कुल शोभनीय नहीं” है। भाजपा उत्तर प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने भी हसन और सपा की निंदा करते हुए इसे आपदा को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश बताया। सोशल मीडिया पर यूजर्स ने हसन के बयान को “बेहूदा” और “विकृत मानसिकता” का उदाहरण करार दिया, जिसमें इसे हिंदू-मुस्लिम चश्मे से देखने की आलोचना की गई।
हसन का बयान उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हाल की क्लाउडबर्स्ट त्रासदी को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास प्रतीत होता है, जिसने सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर विवाद को जन्म दिया। मसूद और अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं इस बात को रेखांकित करती हैं कि आपदा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर धार्मिक टिप्पणियां सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती हैं। यह मामला यह भी दर्शाता है कि भारत में प्राकृतिक आपदाओं को लेकर राजनीतिक बयानबाजी कितनी जल्दी सांप्रदायिक रंग ले सकती है।

