बीजिंग। प्लास्टिक कचरा आज पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी पर्यावरणीय चुनौती बन चुका है। लेकिन चीन ने इस समस्या को अवसर में बदलने की दिशा में एक बड़ी पहल की है। यहां वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसके ज़रिए प्लास्टिक वेस्ट को प्रोसेस करके सीधे पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदला जा रहा है।
इस प्रक्रिया को पायरोलीसिस (Pyrolysis) कहा जाता है। इसमें प्लास्टिक के कचरे को 300 से 500 डिग्री सेल्सियस तापमान पर बिना ऑक्सीजन के गरम किया जाता है। इससे प्लास्टिक के लंबे-लंबे अणु टूटकर छोटे हाइड्रोकार्बन में बदल जाते हैं। इन्हीं को आगे रिफाइनिंग के जरिए पेट्रोल, डीजल और गैस के रूप में बदला जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की तकनीक न केवल बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण को कम करेगी, बल्कि ईंधन के नए स्रोत भी उपलब्ध कराएगी।
इससे नदियों और समुद्र में जाने वाला कचरा कम होगा।
पारंपरिक तेल पर निर्भरता घटेगी।
यह सस्टेनेबल डेवलपमेंट की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
हालांकि एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस टेक्नोलॉजी को बड़े पैमाने पर लागू करना आसान नहीं है। लागत अधिक होने के साथ-साथ ऊर्जा की खपत भी ज़्यादा रहती है। इसके अलावा, यदि प्रोसेस को सही ढंग से नियंत्रित नहीं किया गया तो प्रदूषण का खतरा बना रह सकता है।
चीन की कई इंडस्ट्रीज और रिसर्च इंस्टीट्यूट इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। लक्ष्य है कि अगले कुछ सालों में इस तकनीक को कॉमर्शियल स्तर पर लागू किया जा सके, ताकि प्लास्टिक कचरे को समस्या नहीं बल्कि ऊर्जा का भरोसेमंद साधन बनाया जा सके।

