पितृपक्ष का समय हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है। यह वो अवसर होता है जब हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं और श्राद्ध के जरिए उन्हें तर्पण अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पितरों की आत्माएं धरती पर आती हैं और अपने वंशजों का हालचाल जानती हैं। इसी समय कई बार लोग अपने सपनों में मृत परिजनों को देखते हैं। शास्त्रों में इसे एक साधारण सपना नहीं बल्कि संदेश माना गया है।
अगर पूर्वज सपने में प्रसन्न मुद्रा में दिखाई दें, मुस्कुराते हुए या संतुष्ट नजर आएं तो यह बहुत शुभ संकेत होता है। इसका अर्थ है कि वे आपसे खुश हैं और आपके परिवार पर उनकी कृपा बनी हुई है। ऐसे सपने आने पर घर में सुख-समृद्धि और शांति का वातावरण बना रहता है। लेकिन अगर सपने में पूर्वज दुखी, बीमार या परेशान अवस्था में दिखें तो इसे अच्छा नहीं माना जाता। इसका संकेत यह होता है कि वे श्राद्ध या पिंडदान की अपेक्षा कर रहे हैं।
कभी-कभी सपनों में पूर्वज सीधे कोई संदेश भी देते हैं। यह संदेश जीवन की किसी समस्या, बड़े निर्णय या आने वाले समय की घटनाओं से जुड़ा हो सकता है। गरुड़ पुराण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है कि पितृपक्ष के दौरान सपनों के माध्यम से पूर्वज अपने वंशजों से संवाद कर सकते हैं।
अगर पितृपक्ष में ऐसा सपना आए तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए विधिवत श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करना जरूरी है। साथ ही जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना भी पितरों को प्रसन्न करता है। घर में सकारात्मक माहौल बनाए रखना और श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों को याद करना सबसे अच्छा उपाय है।
पितृपक्ष में पूर्वजों का सपनों में आना कोई साधारण घटना नहीं होती बल्कि इसे आत्मिक संकेत समझा जाता है। प्रसन्न अवस्था में दिखना आशीर्वाद का प्रतीक है जबकि दुखी अवस्था में दिखना श्राद्ध कर्म की आवश्यकता का संकेत माना जाता है। श्रद्धा और नियम से किए गए कर्मकांड से पूर्वज तृप्त होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि और आशीर्वाद देते हैं।

