21 सितंबर 2025 को साल का आखिरी आंशिक सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में होगा। हालांकि यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसलिए यहां सूतक काल लागू नहीं होगा और मंदिर खुले रहेंगे। धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण को अशुभ माना जाता है, लेकिन भारत में इसके कारण यात्रा पर कोई सख्त पाबंदी नहीं है।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में सामान्यत: यात्रा, नए कार्य, निवेश, विवाह जैसे महत्वपूर्ण फैसले टालने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस दौरान किए गए कर्मों का फल कम या निष्फल हो सकता है। खासकर कन्या राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण मानसिक अशांति और छोटे-मोटे रुकावटों का कारण बन सकता है।
इस सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य और चंद्रमा की ऊर्जा का असंतुलन होता है, जिससे मानसिक स्थिरता और निर्णय क्षमता प्रभावित हो सकती है। ऐसे में यात्रा के दौरान सावधानी बरतनी चाहिए और जहां तक संभव हो, यात्रा को टालना ही बेहतर रहता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के समय दान देना, मंत्र जाप करना और शांति का वातावरण बनाए रखना शुभ होता है। ज्योतिष विशेषज्ञों की सलाह है कि ग्रहणकाल में यात्रा बहुत जरूरी हो तो सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सावधानी के साथ यात्रा करें।
ग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव 12 राशियों पर अलग-अलग पड़ता है, और कन्या, मीन, धनु राशि वाले जातकों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। इस ग्रहण के बाद नवरात्रि पर्व भी आरंभ हो रहे हैं, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण समय माना जाता है।
संक्षेप में, 21 सितंबर 2025 के सूर्यग्रहण के दौरान यात्रा के मामले में जरूरत न हो तो टालना बेहतर है, लेकिन यदि यात्रा अनिवार्य है तो सावधानी और शास्त्रीय उपायों के साथ करना मुनासिब रहेगा।

