नवरात्रि के पवित्र 9 दिन मां दुर्गा की अलग-अलग स्वरूपों की उपासना करने का महत्व पुराणों में विस्तार से बताया गया है। श्रीमद् देवी भागवत पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति विधि-विधान से नवरात्रि व्रत करता है और मां दुर्गा की कथा का पाठ करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, बृहस्पति जी ने ब्रह्मा जी से पूछा कि नवरात्रि व्रत क्यों किया जाता है और इसे करने से क्या लाभ प्राप्त होते हैं। ब्रह्मा जी ने बताया कि यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है। संतान की इच्छा रखने वालों को संतान सुख, धन की कामना करने वालों को धन, विद्या की कामना करने वालों को विद्या और सुख चाहने वालों को सुख प्राप्त होता है। रोगी का रोग दूर होता है, बंधन में पड़ा व्यक्ति मुक्त होता है और घर में समृद्धि आती है।
यदि कोई व्यक्ति पूरे दिन उपवास न रख पाए, तो एक समय भोजन करते हुए व्रत कथा का श्रवण करना भी लाभकारी है।
कथा में ब्रह्मा जी बताते हैं कि पीठत नामक नगर में सुमति नाम की कन्या पैदा हुई। सुमति बाल्यावस्था में अपनी सहेलियों के साथ खेलती रहती थी, लेकिन अपने पिता के निर्देशानुसार दुर्गा पूजन में भाग नहीं लिया। उसके पिता ने उसे डांटा और कहा कि यदि वह पूजा नहीं करेगी तो उसका विवाह दरिद्र व्यक्ति के साथ होगा। सुमति ने अपने पिता के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास व्यक्त किया और कहा कि जो भाग्य में लिखा है वही होगा।
यह कथा बताती है कि माता दुर्गा की भक्ति और नियम पालन से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में व्रत और कथा का पाठ करने से व्यक्ति मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और मनोरथ की प्राप्ति कर सकता है।

