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नवरात्रि 2025: सातवें दिन मां कालरात्रि की विधिवत पूजा, जानें कथा, मंत्र, भोग और आरती l

29 सितम्बर 2025 को नवरात्रि का सातवां दिन (सप्तमी तिथि) है, जो मां दुर्गा के सातवें रूप, मां कालरात्रि को समर्पित है। मां कालरात्रि को असुरी शक्तियों का नाश करने वाली और सभी तरह के भय, अंधकार व अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाली उग्र देवी माना जाता है। इस दिन की पूजा से भक्तों को शत्रुओं से मुक्ति, सुख-समृद्धि और सुरक्षा प्राप्त होती है।

मां कालरात्रि का शरीर गहरे काले रंग का होता है, जो अंधकार और भय का प्रतीक है। उनके तीन नेत्र और चार हाथ होते हैं, जिनमें तलवार, लौह शस्त्र और वरमुद्रा तथा अभय मुद्रा होती है। उनकी सांस से आग निकलती है और उनके गले में बिजली की माला होती है। यह स्वरूप भयभीत करता जरूर है, लेकिन अपने भक्तों के लिए अत्यंत दयालु है।

पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल वस्त्र पहनें। मां कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से अभिषेक करें। पूजा स्थल को साफ रखें, लाल चंदन, सिंदूर, गुलाब या गुड़हल के फूल अर्पित करें। मां का प्रिय भोग गुड़ या गुड़ की खीर लगाया जाता है। पूजा के दौरान मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नमः” का जाप करें।

शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 04:37 AM से 05:25 AM तक

अभिजीत मुहूर्त: 11:47 AM से 12:35 PM तक

विजय मुहूर्त: 02:11 PM से 02:58 PM तक

गोधूलि मुहूर्त: 06:09 PM से 06:33 PM तक

मां कालरात्रि की कथा सुनना और सुनाना इस दिन की पवित्रता बढ़ाता है। कहा जाता है कि मां ने इस रूप में अत्यंत शत्रुओं का विनाश किया और अपने भक्तों की रक्षा की। उनकी पूजा से जीवन में नकारात्मक शक्तियों का विनाश होता है और सभी विध्वंसकारी परिस्थितियाँ दूर होती हैं।

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा से न केवल भक्तों के मन की शांति मिलती है, बल्कि उनकी संपूर्ण सुरक्षा और समृद्धि सुनिश्चित होती है। इस दिन की आराधना और कथा का पाठ सर्वश्रेष्ठ फलदायक माना जाता है।

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