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काल भैरव जयंती 2025: भगवान को इन प्रिय भोगों से करें पूजा, भय-बाधाओं और ऋण से मिलेगी मुक्ति l

काल भैरव जयंती के शुभ अवसर पर भक्तगण भगवान काल भैरव को उनके लोकप्रिय प्रिय भोग अर्पित कर विशेष आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह दिन भक्तों के लिए दोष-दूर करने और भय, बाधा, नकारात्मकता और ऋण-चक्र से बाहर आने की एक रीति-परम्परा बन गया है। 2025 में 12 नवंबर को मनाई जा रही जयंती के मौके पर मंदिरों और घरों में भक्त-परंपरा के अनुसार भोग, मंत्र जाप और अर्चना का आयोजन किया जाएगा।

मध्यांतर में पूजा-पाठ के लिए कुछ सामान्य, लेकिन प्रभावी भोग नीचे दिए जा रहे हैं, जिन्हें श्रद्धालु अपने घर या मंदिर में लगा सकते हैं:

कच्चे दूध, गोदुग्ध और तिल के साथ भोग

तांबा-चांदी के सिक्के-राहत के लिए लौंग, कर्पूर और माला

सवा मीठा गन्ने का रस व शक्करगुलाल के साथ प्रसाद

काली उड़द, उड़द की दाल के साथ तिल, सौंफ और जौ

काले तिल की रोली और बिना नमक की खीर/कच्चे चावल

कपूर, धूप और घी का दीप

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कहा जाता है कि काल भैरव की आराधना में काला रंग, तेजस्वी आवाज और गड़गड़ाहट-युक्त मंत्र का प्रभाव दिखता है। भक्तों के लिए विशेष निर्देश:

पूजा कमरे को साफ़-सुथरा रखें और परिसर में घी की अगरबत्ती के साथ पवित्र वातावरण बनाएं।

जयंती के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर जल, रोली-मौली और फूलों से आलंबन करें।

108 बार महामृत्युंजय या काल भैरव मंत्र का जाप करें और क्रियारूपी आचरण में संयम बनाए रखें।

भोग के साथ भक्तों को दान-धर्म का भी विचार रखना चाहिए, ताकि पुण्य का दायरा बढ़ सके।

विशेषज्ञों के अनुसार जयंती के अवसर पर काल भैरव की पूजा से भय, बाधाओं और नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण स्थिर होता है। यह दिन ऊर्जा, साहस और आत्म-नियंत्रण की वृद्धि का माना जाता है, जो व्यक्तिगत और आर्थिक जीवन दोनों क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कुछ लोग अपने व्यक्तिगत या पारिवारिक शत्रुओं के निवारण के लिए भी यह विधि अपनाते हैं।

खान-पान में सर्वश्रेष्ठ सावधानी रखें; शुद्ध सामग्री और स्वच्छता बनाए रखें।

बड़े पंडाल/मंदिर में समुदाय-स्तर पर सामूहिक जाप के समय भीड़-संख्या के नियंत्रण का ध्यान रखें।

यदि किसी को स्वास्थ्य कारण से बिना धुआँ या ध्वनि के पूजा करनी हो, तो वैकल्पिक मार्ग亦 अपनाएं, जैसे शांत बैठings और ध्यान-प्रणाली।

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