दीपावली का त्यौहार खुशियों, सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन घरों में दीप जलाकर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। इसके साथ ही अपनों को उपहार देने की परंपरा भी जुड़ी हुई है, जिससे त्यौहार की खुशियां और बढ़ जाती हैं। चाहे पड़ोसी हों, सहकर्मी, परिवार के सदस्य या फिर मित्र, सभी को कुछ न कुछ उपहार देना इस पर्व का अहम हिस्सा बन गया है। हालांकि, कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें दिवाली पर उपहार में देने से बचना चाहिए, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ये चीजें घर की सुख-शांति और बरकत को प्रभावित कर सकती हैं।
दिवाली पर घड़ी उपहार में न दें:
घड़ी को समय के बीतने का प्रतीक माना जाता है, जो जीवन के गुजरते समय की ओर इशारा करती है। दिवाली, वर्तमान को खुशहाल बनाने और भविष्य को उज्ज्वल करने का पर्व है। इस मौके पर घड़ी देना सही नहीं माना जाता है, क्योंकि इसे नकारात्मक ऊर्जा के प्रसार से जोड़ा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार घड़ी उपहार में देने से नेगेटिविटी फैलती है, जो आपके लिए और उपहार पाने वाले के लिए उचित नहीं है।
काले रंग के वस्त्र न दें:
दिवाली प्रकाश और रंगों का पर्व है, जो अंधकार पर विजय का प्रतीक है। इस दिन रंग-बिरंगे दीयों और रंगोलियों से घर सजाए जाते हैं। ऐसे में काले रंग का उपयोग अशुभ माना जाता है। इस कारण दिवाली पर न तो काले कपड़े पहनने चाहिए और न ही किसी को उपहार स्वरूप देने चाहिए।
नुकीली वस्तुएं न दें:
वैसे तो किसी भी मौके पर नुकीली चीजें जैसे चाकू या कैंची गिफ्ट नहीं की जाती हैं, लेकिन दिवाली पर विशेष रूप से इन्हें उपहार में देने से बचना चाहिए। साथ ही धनतेरस पर भी नुकीली चीजें खरीदने की सलाह नहीं दी जाती।
सोने-चांदी के सिक्के न दें:
आमतौर पर सोने-चांदी के सिक्के उपहार स्वरूप देना शुभ माना जाता है, लेकिन दिवाली पर इसे देने से परहेज करना चाहिए। विशेषकर, अगर सिक्के पर लक्ष्मी या गणेश जी की तस्वीर अंकित हो, तो इसे उपहार में देना घर की बरकत को किसी और को सौंपने जैसा माना जाता है।
फुटवियर न दें:
अगर आप दिवाली पर किसी को पसंदीदा जूते या चप्पल उपहार में देने का विचार कर रहे हैं, तो इसे टाल दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली के समय जूते-चप्पल उपहार में देने से घर में सुख-शांति और समृद्धि पर असर पड़ता है, और आर्थिक समस्याएं आ सकती हैं।