भारत के डी. गुकेश ने गुरुवार को सिंगापुर में 14वें राउंड के मुकाबले में चीन के डिंग लिरेन को हराकर इतिहास रच दिया। 18 साल के चेन्नई के इस युवा खिलाड़ी ने डिफेंडिंग चैंपियन को 7.5-6.5 के स्कोर से पराजित कर विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब अपने नाम किया। इस जीत के साथ गुकेश, वर्ल्ड शतरंज चैंपियन बनने वाले दूसरे भारतीय बन गए। उन्होंने 21 साल की उम्र में खिताब जीतने वाले गैरी कास्पारोव का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल की।
गुकेश ने अपनी जीत पर कहा, “जब से मैंने शतरंज खेलना शुरू किया, यह खिताब जीतने का सपना देखता रहा हूं। आज वह सपना सच हो गया है। इसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि उनकी कृपा से यह संभव हुआ।” उन्होंने डिंग लिरेन के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि शारीरिक रूप से पूरी तरह फिट न होने के बावजूद उन्होंने बेहतरीन संघर्ष किया।
गुकेश ने महज 7 साल की उम्र में शतरंज में अपनी नियति तय कर ली थी और एक दशक से भी कम समय में इसे हकीकत में बदल दिया। हालांकि, उनकी यह यात्रा आसान नहीं थी। इस सफलता के पीछे न केवल उनका बल्कि उनके माता-पिता का भी बड़ा त्याग है।
गुकेश के पिता, डॉ. रजनीकांत, जो ईएनटी सर्जन हैं, को 2017-18 में अपनी प्रैक्टिस छोड़नी पड़ी। उन्होंने सीमित बजट में बेटे के साथ दुनिया भर में शतरंज टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेने के लिए यात्राएं कीं। इस दौरान उनकी मां पद्मा, जो माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं, ने परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी संभाली। उनके कोच विष्णु प्रसन्ना ने भी इस त्याग की प्रशंसा करते हुए कहा था, “गुकेश के माता-पिता ने उनके लिए बहुत कुर्बानियां दी हैं। उनके पिता ने करियर छोड़ दिया और उनके साथ यात्रा की, जबकि उनकी मां परिवार का खर्च उठा रही थीं।”
वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 की कुल इनामी राशि 2.5 मिलियन डॉलर (करीब 20.75 करोड़ रुपये) थी। FIDE के नियमों के मुताबिक, हर जीत के लिए 200,000 डॉलर (करीब ₹1.68 करोड़) दिए जाते हैं। गुकेश ने इस प्रतियोगिता में तीन गेम (गेम 3, गेम 11 और गेम 14) जीते, जिससे उन्हें 600,000 डॉलर (करीब ₹5.04 करोड़) मिले। डिंग लिरेन ने दो गेम (गेम 1 और गेम 2) जीते और 400,000 डॉलर (करीब ₹3.36 करोड़) अर्जित किए। शेष 1.5 मिलियन डॉलर की राशि दोनों फाइनलिस्ट्स के बीच बराबर बांटी गई। इस तरह गुकेश ने कुल 1.35 मिलियन डॉलर (करीब ₹11.45 करोड़) की पुरस्कार राशि जीती।
यह जीत भारतीय शतरंज के इतिहास में एक नई चमक जोड़ती है, और गुकेश ने यह साबित कर दिया कि समर्पण और मेहनत से हर सपना साकार किया जा सकता है।

