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Posted By : Admin

न्यू ईयर पर खाटू श्याम जी के दर्शन करने जाने का प्लान बना रहे हैं,इन जरूरी इंतजामों के साथ यात्रा पर निकलें

नए साल का जश्न मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग हिल स्टेशनों और पर्यटन स्थलों पर जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने नए साल की शुरुआत भगवान के दर्शन से करते हैं। यही कारण है कि देशभर के मंदिरों में नए साल के मौके पर विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। राजस्थान के खाटू श्याम जी मंदिर में भी लाखों भक्तों के आने की संभावना जताई जा रही है। क्रिसमस की छुट्टियों से लेकर 2-3 जनवरी तक यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने वाले हैं। अगर आप भी खाटू श्याम जी के दर्शन करने का मन बना रहे हैं, तो इन जरूरी तैयारियों के साथ यात्रा पर निकलें।

20 लाख भक्तों के आने की संभावना
नए साल के मौके पर खाटू श्याम जी में करीब 20 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। इस समय तक होटल और गेस्ट हाउस पहले ही बुक हो चुके हैं। आने वाले पांच दिन मंदिर में भारी भीड़ रहने वाली है, क्योंकि हर कोई बाबा श्याम के दर्शन करना चाहता है। प्रशासन और पुलिस भी इस भीड़ के लिए विशेष इंतजामों में जुटे हैं।

इन बातों का ध्यान रखें जब खाटू श्याम जाएं
अगर आप भी खाटू श्याम जी जाने का प्लान बना रहे हैं, तो पहले से ही अपनी ठहरने की व्यवस्था कर लें। होटल या गेस्ट हाउस की बुकिंग जरूर करें, नहीं तो आपको सड़क पर रात बितानी पड़ सकती है। अगर आपके साथ बच्चे या बुजुर्ग हैं, तो उन्हें मंदिर में न ले जाएं, क्योंकि इतनी भीड़ में हादसे का खतरा बढ़ सकता है। सर्दी का मौसम है, इसलिए ठंड से बचने के लिए जरूरी तैयारी करें। पार्किंग की समस्या हो सकती है, तो पैदल चलने के लिए तैयार रहें।

खाटू श्याम जी कहां है और कैसे पहुंचें?
खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जो सीकर शहर से करीब 43 किमी दूर खाटू गांव में है। यहां भगवान कृष्ण और बर्बरीक की पूजा होती है। इस मंदिर में बर्बरीक के सिर की प्रतिमा स्थापित है, और श्रद्धालुओं का मानना है कि यह सिर असली है, जो एक महान योद्धा थे।

“हारे का सहारा” खाटू श्याम हमारा क्यों कहा जाता है?
खाटू श्याम को “हारे का सहारा” कहा जाता है। इसका मतलब है कि जो व्यक्ति हर जगह से निराश हो जाए, जिसे किसी भी स्थान पर उम्मीद की कोई किरण नजर न आए, उसे खाटू श्याम जी सहारा देते हैं। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में बर्बरीक जहां भी जाते थे, वहां उनकी सेना जीत जाती थी। युद्ध के बाद भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से उनका सिर गुरुदक्षिणा के रूप में मांगा, और तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वह “श्याम” के नाम से पूजित होंगे।v

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