सिविल सेवा के छात्रों को कोचिंग देने वाले प्रसिद्ध शिक्षक अवध ओझा ने अब राजनीति में कदम रख दिया है। उन्होंने आगामी दिल्ली चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी (आप) की सदस्यता ग्रहण की। पिछले 22 वर्षों से दिल्ली में छात्रों को पढ़ाने वाले ओझा, ऑनलाइन माध्यम से देशभर में लोकप्रिय हो चुके हैं। संभावना जताई जा रही है कि वे दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप की ओर से चुनाव लड़ सकते हैं। अवध ओझा का सफर एक साधारण छात्र से शिक्षक और अब राजनेता बनने तक काफी प्रेरणादायक रहा है। आइए जानते हैं उनके जीवन की कहानी।
राजनीति में पहला कदम
अवध ओझा ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली। लंबे समय से राजनीति में आने की इच्छा रखने वाले ओझा ने आखिरकार अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के निवासी ओझा ने प्रारंभिक शिक्षा फातिमा स्कूल से पूरी की। उनके पिता डाक विभाग में पोस्ट मास्टर थे और मां वकालत करती थीं। माता-पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन ओझा ने इलाहाबाद जाकर यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस बनने का सपना देखा। हालांकि, जब वे इसमें सफल नहीं हो पाए, तो उन्होंने नौकरी करने के बजाय शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देने का फैसला किया।
शिक्षक बनने का सफर
ओझा ने यूपीएससी की तैयारी के दौरान अर्जित ज्ञान को छात्रों के साथ साझा करना शुरू किया। एक कोचिंग संस्थान में इतिहास पढ़ाने से उनके शिक्षण जीवन की शुरुआत हुई। उनके पढ़ाने का अनूठा तरीका छात्रों को बहुत पसंद आया। 2005 में उन्होंने दिल्ली के मुखर्जी नगर में अपना कोचिंग संस्थान शुरू किया। हालांकि, शुरुआती दिनों में वित्तीय कठिनाइयों के कारण उन्हें संघर्ष करना पड़ा। कोचिंग संस्थान से पर्याप्त आमदनी न होने के कारण उन्हें सात महीने तक बारटेंडर का काम भी करना पड़ा। दिन में पढ़ाई और रात में नौकरी करते हुए उन्होंने संघर्ष के इस दौर को पार किया।
राजनीतिक पारी की शुरुआत
बीते लोकसभा चुनाव में ओझा इलाहाबाद या अमेठी सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन बात नहीं बनी। अब उन्होंने आम आदमी पार्टी के साथ जुड़कर अपने राजनीतिक सफर को दिशा दी है। पार्टी के साथ उनके जुड़ने से आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना प्रबल हो गई है।
अवध ओझा का यह सफर उनकी मेहनत, संघर्ष और समाज के प्रति समर्पण की मिसाल है। छात्र से शिक्षक और अब राजनेता के रूप में उनकी यात्रा कई लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनी हुई है।