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मौसम के कारण 2024 में 25 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पाए, 2050 में क्या होगा हाल ?

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कई चौंकाने वाली जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल मौसम में आए उतार-चढ़ाव (जैसे हीटवेव, बाढ़, चक्रवात, और अत्यधिक वर्षा) के कारण दुनिया के 85 देशों में करीब 242 मिलियन (24.2 करोड़) बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई। यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक, कैथरीन रसेल ने कहा कि बच्चे मौसम के बदलावों के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं और इनका असर उनके जीवन पर सीधा पड़ता है।

मौसम में बदलाव के कारण बच्चों पर प्रभाव कैथरीन रसेल ने कहा कि बच्चों पर मौसम के बदलावों का असर बड़ों के मुकाबले कहीं ज्यादा होता है। अत्यधिक गर्मी के कारण बच्चे क्लास में ध्यान नहीं लगा पाते, अगर रास्तों में पानी भर जाए या स्कूल में कोई नुकसान हो जाए तो वे स्कूल नहीं जा पाते। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा उन सेवाओं में से एक है, जो जलवायु से जुड़े खतरों के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। फिर भी, इस मुद्दे को नीतिगत चर्चाओं में अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है।

मौसम की घटनाओं से जुड़ी समस्याएं अनेकों रिपोर्टों से यह सामने आया है कि हीटवेव, चक्रवातों, बाढ़ और अन्य मौसम संबंधी घटनाओं के कारण स्कूलों में कक्षाएं स्थगित करनी पड़ीं, छुट्टियां बढ़ानी पड़ीं, और स्कूलों को खोलने में देरी हुई। कुछ स्कूलों को तो नुकसान पहुंचा और वे नष्ट हो गए। कम से कम 171 मिलियन बच्चे हीटवेव से प्रभावित हुए हैं। उदाहरण के तौर पर, बांग्लादेश, कंबोडिया, भारत, थाईलैंड और फिलीपींस में अप्रैल के महीने में तापमान के अत्यधिक बढ़ने से 118 मिलियन बच्चे हीटवेव से प्रभावित हुए। फिलीपींस में तो गर्मी के कारण हजारों स्कूलों को बंद करना पड़ा क्योंकि इनमें एयर कंडीशनर की व्यवस्था नहीं थी। पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में भी विनाशकारी तूफान यागी के चलते 18 देशों में कक्षाएं रद्द की गईं।

दक्षिण एशिया की स्थिति दक्षिण एशिया जलवायु परिवर्तन के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुआ क्षेत्र रहा, जहां 128 मिलियन स्कूली बच्चे प्रभावित हुए। भारत में अकेले 54 मिलियन बच्चे हीटवेव के कारण प्रभावित हुए, जबकि बांग्लादेश में 35 मिलियन बच्चे इससे प्रभावित हुए। भविष्य में, तापमान में वृद्धि के कारण ये आंकड़े और बढ़ने की संभावना है। विश्व के आधे बच्चे (लगभग एक अरब) ऐसे देशों में रहते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के खतरे से जूझ रहे हैं।

2050 तक की स्थिति यूनिसेफ के अनुसार, अगर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन इस गति से जारी रहा, तो 2050 तक बच्चों पर पड़ने वाला प्रभाव आठ गुना बढ़ जाएगा। इसी तरह, भीषण बाढ़ से प्रभावित लोगों की संख्या तीन गुना और जंगली आग के कारण प्रभावित होने वाले बच्चों की संख्या 1.7 गुना बढ़ जाएगी। यूनिसेफ ने ऐसी कक्षाओं में निवेश करने की अपील की है, जो जलवायु संकट से निपटने में सक्षम हों और बच्चों की शिक्षा को सुरक्षित रख सकें।

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