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हनुमानगढ़ में इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर बवाल: किसानों का महापंचायत हिंसक, 10 गाड़ियां फूंकी

हनुमानगढ़ के टिब्बी इलाके में स्थापित की जा रही 450 करोड़ रुपये की इथेनॉल फैक्ट्री को लेकर किसानों का महीनों से simmer हो रहा विरोध रविवार को अचानक उग्र हो गया। महापंचायत के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई और देखते ही देखते हालात हिंसा में बदल गए। किसानों ने फैक्ट्री परिसर में घुसकर जमकर तोड़फोड़ की, करीब 10 गाड़ियों को आग लगा दी और तीन बुलडोजर क्षतिग्रस्त कर दिए। स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले इस्तेमाल करने पड़े।

इस हिंसा में कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया सहित दर्जनों लोग घायल हुए। सभी घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद महात्मा गांधी मेमोरियल जिला अस्पताल रेफर किया गया। महापंचायत में सांसद कुलदीप इंदौरा, पूर्व विधायक बलवान पूनिया, CPI(M) नेता मंगेज चौधरी और राजस्थान-पंजाब के कई किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

किसानों का आरोप है कि इथेनॉल फैक्ट्री शुरू होने से वायु प्रदूषण बढ़ेगा, भूजल दूषित होगा और खेती योग्य जमीन को नुकसान पहुंचेगा। उनका कहना है कि प्लांट लगने से स्थानीय लोगों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है। इसी वजह से वे फैक्ट्री को किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि पिछले एक साल से ज्यादा समय से वे शांतिपूर्वक विरोध कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों पर कोई गंभीर सुनवाई नहीं हुई।

महापंचायत के दौरान भीड़ ने अचानक फैक्ट्री की दीवार तोड़ दी और अंदर घुसकर पुलिस से सीधी भिड़ंत हो गई। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया, जिसके बाद पूरा इलाका तनाव में आ गया।

तनावपूर्ण हालात को देखते हुए प्रशासन ने टिब्बी क्षेत्र में पहले से लागू धारा 144 को और कड़ा कर दिया है। पूरे इलाके के बाजार बंद करा दिए गए और इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं, ताकि अफवाहों पर लगाम लगाई जा सके।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुलिस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की और कहा कि “कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी है”। उन्होंने बीजेपी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर किसानों के मुद्दों को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है और उनकी आवाज दबाने की कोशिश क्यों की जा रही है।

यह पूरा मामला अब प्रदेश की राजनीति में भी गर्माया हुआ है, जबकि किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा।

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