मध्य प्रदेश सरकार ने विवादों में घिरे IAS संतोष वर्मा के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें सभी पदों से हटा दिया है और केंद्र सरकार को बर्खास्तगी का प्रस्ताव भेजा है। वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए आईएएस कैडर में पदोन्नति हासिल की, और विभागीय जांच में यह बात साबित हो गई कि उनका आचरण अखिल भारतीय सेवा नियमों का गंभीर उल्लंघन है। इसके साथ ही उनके हालिया भड़काऊ और विवादित बयान ने आलोचना की आग को और भड़का दिया था।
सरकारी बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने पाया कि वर्मा को राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस कैडर में पदोन्नति दिलाने के लिए “फर्जी और जाली पदोन्नति आदेश” तैयार किए गए थे। इस मामले से जुड़े कई आपराधिक मामले पहले ही अलग-अलग अदालतों में लंबित हैं। जांच में यह भी सामने आया कि उन्होंने सत्यनिष्ठा प्रमाण पत्र के लिए भी फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था।
विभागीय जांच के दौरान उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, लेकिन अधिकारियों ने उनकी प्रतिक्रिया को असंतोषजनक और भटकाने वाला पाया। इसके साथ ही, नोटिस का जवाब देते समय भी उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर अभद्र और भड़काऊ बयान देना जारी रखा, जिसे सेवा आचरण नियमों का स्पष्ट उल्लंघन माना गया। इसके बाद सरकार ने उनके खिलाफ अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के तहत औपचारिक आरोप-पत्र जारी करने का निर्णय लिया।
वर्मा पिछले कई महीनों से सुर्खियों में रहे हैं। इंदौर की अदालतों से मिली रिपोर्टों के अनुसार, उन्होंने कथित रूप से एक न्यायाधीश के साथ मिलकर जाली फैसले तैयार किए, ताकि घरेलू हिंसा के एक मामले में खुद को बरी दिखाया जा सके और पदोन्नति के लिए योग्यता हासिल हो जाए। आरोप है कि उन्होंने विभागीय पदोन्नति समिति को प्रभावित करने के लिए न्यायिक रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की।
इन सब आरोपों के बीच उनका विवादित बयान और भी भारी पड़ गया। 23 नवंबर 2025 को भोपाल में आयोजित AJJAKS के एक कार्यक्रम में संतोष वर्मा ने कहा था—
“रिजर्वेशन तब तक जारी रहना चाहिए जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी मेरे बेटे को न दे दे।”
इस टिप्पणी की कई ब्राह्मण संगठनों, सामुदायिक नेताओं और न्यायपालिका ने तीखी आलोचना की और इसे “अभद्र, जातिवादी और महिलाओं का अपमान” बताया। सरकार ने इस बयान को “गंभीर दुर्व्यवहार” माना।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर कृषि विभाग ने उन्हें उप सचिव के पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है और अब उन्हें बिना किसी कार्यभार के GAD पूल में भेज दिया गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने केंद्र को स्पष्ट संदेश दिया है कि धोखाधड़ीपूर्ण पदोन्नति, सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर और सार्वजनिक तौर पर अनुशासनहीन व्यवहार को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अब अंतिम कदम केंद्र सरकार के हाथ में है, जो यह तय करेगी कि संतोष वर्मा को स्थायी रूप से आईएएस सेवा से बर्खास्त किया जाए या नहीं।

