
राजस्थान में हलाल उत्पादों को लेकर विवाद एक बार फिर गरमा गया है। हलाल प्रमाणपत्र के तहत वसूले जाने वाले धन को लेकर भाजपा नेताओं ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। जयपुर के हवामहल से भाजपा विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा कि सीमेंट, सरिया और खाद्य उत्पादों पर हलाल प्रमाणपत्र या इससे संबंधित शुल्क लेना एक साजिश हो सकती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हलाल के नाम पर जो धन इकट्ठा किया जा रहा है, उसकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि विधानसभा सत्र में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया जाएगा और राज्य में उन उत्पादों की पहचान की जाएगी जिन पर हलाल प्रमाणपत्र की आवश्यकता हो रही है। साथ ही, उन्होंने हलाल उत्पादों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखने की बात कही।
इसी बीच, सांसद मंजू शर्मा ने भी हलाल प्रमाणित उत्पादों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि जो भी काम जनता के हित में नहीं है और नुकसान पहुंचाने वाला है, उसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता। राजस्थान के कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में हलाल प्रमाणित उत्पादों पर रोक लगाने की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री से इसकी अनुशंसा की जाएगी और इस बात की जांच की जाएगी कि हलाल से जुड़े उत्पादों के माध्यम से जुटाई जा रही धनराशि कहां जा रही है। उनके अनुसार, ऐसी जानकारी मिली है कि यह पैसा कथित रूप से लव जिहाद और देशविरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल हो सकता है, इसलिए इसकी जांच आवश्यक है।
हलाल उत्पाद और प्रमाणपत्र का क्या मतलब है?
हलाल प्रमाणपत्र का संबंध इस्लामी कानूनों के अनुसार निर्मित उत्पादों से है। यह व्यवस्था 1974 में शुरू हुई थी और इसके अंतर्गत मांसाहारी और गैर-मांसाहारी दोनों तरह के उत्पाद आते हैं। शाकाहारी उत्पादों के लिए भी हलाल प्रमाणपत्र लिया जा सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाता है कि उत्पाद इस्लामी मानकों का पालन करता हो।
हलाल प्रमाणपत्र का मतलब है कि संबंधित उत्पाद शुद्ध है और इस्लामी नियमों के तहत तैयार किया गया है। ऐसे किसी भी उत्पाद को हलाल नहीं माना जाता जिसमें मरे हुए जानवर या उनके किसी भी हिस्से का इस्तेमाल हुआ हो। शाकाहारी उत्पादों में, भले ही मांस या मांसाहारी तत्व न हो, लेकिन यदि उनमें अल्कोहल या कोई अन्य निषिद्ध तत्व पाया जाता है, तो उन्हें हलाल सर्टिफाइड नहीं माना जा सकता।