भारत में हृदय रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और इसका मुख्य कारण गलत खानपान और अस्वस्थ जीवनशैली है। अब ये बीमारियां केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि युवा भी इनका शिकार हो रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में हृदय संबंधी रोगों में काफी बढ़ोतरी हुई है। हृदय रोगों में सबसे सामान्य समस्या हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज होती है, जो आगे चलकर गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है। इस ब्लॉकेज का सटीक पता लगाने के लिए एंजियोग्राफी एक प्रभावी परीक्षण माना जाता है।
क्या है एंजियोग्राफी टेस्ट?
एंजियोग्राफी एक विशेष प्रकार का एक्स-रे टेस्ट होता है, जिसमें हृदय की धमनियों में डाई (रंग) इंजेक्ट की जाती है। यह डाई एक्स-रे पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिससे यह पता चलता है कि धमनियों में ब्लॉकेज कहां और कितना गंभीर है। नोएडा के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद पांडेय का कहना है कि स्वस्थ हृदय ही एक स्वस्थ शरीर की नींव है।
कब कराना चाहिए हार्ट का टेस्ट?
अगर हृदय सही तरीके से काम न करे, तो कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिनमें से कुछ जानलेवा भी हो सकती हैं। जब शरीर में असामान्य लक्षण दिखाई देने लगें, जैसे—
✔ अचानक दिल की धड़कन तेज हो जाना
✔ हल्की मेहनत से सांस फूलना
✔ बेचैनी या घबराहट महसूस होना
✔ छाती में भारीपन या दर्द महसूस होना
तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आजकल युवाओं में भी हृदय रोग के मामले बढ़ रहे हैं, जिसका मुख्य कारण अस्वस्थ जीवनशैली, जंक फूड का अधिक सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी है।
ब्लॉकेज की पहचान और गंभीरता
जब हृदय की धमनियों में 70% या उससे अधिक ब्लॉकेज हो जाता है, तब इसके लक्षण अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगते हैं। इस स्थिति में, शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन और रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती, जिससे व्यक्ति को सीढ़ियां चढ़ने, तेज चलने या दौड़ने पर सांस फूलने लगती है। अगर इन संकेतों को नजरअंदाज किया जाए, तो यह आगे चलकर हार्ट अटैक या अन्य गंभीर हृदय रोगों का कारण बन सकता है।
सावधानी और समाधान
अगर हृदय संबंधी कोई भी समस्या महसूस हो रही हो, तो बिना देर किए डॉक्टर से परामर्श लें और आवश्यक जांच करवाएं। नियमित रूप से स्वस्थ आहार, व्यायाम और तनाव नियंत्रण को अपनी दिनचर्या में शामिल करके हृदय को स्वस्थ रखा जा सकता है।

