
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच जारी सीमा विवाद के बीच हाल ही में महाराष्ट्र परिवहन निगम की एक बस पर हमले के बाद हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक जाने वाली बसों में यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार सुरक्षा मार्शल या पुलिस कर्मियों की तैनाती पर विचार कर रही है।
महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाइक का बयान
सरनाइक ने कहा, “एक परिवहन मंत्री के तौर पर मुझे अपने यात्रियों की सुरक्षा का ध्यान रखना होगा। यदि कुछ असामाजिक तत्व ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं, तो हमें कर्नाटक जाने वाली अपनी सरकारी बसों में सुरक्षा बलों की तैनाती पर विचार करना होगा। मराठी हमारी पहचान और सम्मान है, और हम अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाएंगे। इस मुद्दे को राज्य कैबिनेट की बैठक में भी उठाया जाएगा। यदि कर्नाटक में महाराष्ट्र के लोगों को धमकाया जाता है, तो यह स्वीकार्य नहीं होगा।”
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
तनाव उस समय बढ़ा जब कर्नाटक के बेलगावी जिले में कर्नाटक परिवहन निगम की एक बस के कंडक्टर पर एक नाबालिग लड़की ने अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाया। दूसरी ओर, परिचालक का कहना है कि लड़की ने उसे मराठी में जवाब नहीं देने पर हमला किया। इसके बाद इस विवाद ने तूल पकड़ लिया और दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में तनाव फैल गया।
स्थिति और बिगड़ गई जब चित्रदुर्ग जिले में कुछ कन्नड़ समर्थक कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र परिवहन निगम की एक बस और उसके चालक पर हमला कर दिया। इसके चलते महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के लिए अपनी राज्य परिवहन बसों का संचालन अस्थायी रूप से रोक दिया।
बेलगावी जिला: दशकों से विवाद का केंद्र
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगावी को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। इस जिले में मराठी भाषी लोगों की बड़ी संख्या है, जिसकी वजह से एक वर्ग लगातार मांग करता आया है कि इसे महाराष्ट्र में शामिल किया जाए। हालांकि, कर्नाटक के कन्नड़ समर्थक इस मांग का विरोध करते रहे हैं, जिससे यह मुद्दा लगातार विवादों में बना रहता है।
महाराष्ट्र सरकार की प्रतिक्रिया
इस मामले पर महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “कर्नाटक सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हमारे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। अगर वे ऐसा करने में असफल रहते हैं, तो महाराष्ट्र सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए खुद कदम उठाएगी।”
इस विवाद के चलते दोनों राज्यों के बीच राजनीतिक और सामाजिक तनाव बढ़ गया है। अब देखना यह होगा कि महाराष्ट्र सरकार अपनी बसों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाती है और यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ता है।