अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है, जो महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण का प्रतीक है। भारतीय संविधान ने महिलाओं को कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए हैं, जिनके बारे में हर महिला को जानकारी होनी चाहिए। इनमें से एक महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता पाने का अधिकार भी शामिल है। यह अधिकार महिलाओं को न्याय दिलाने और उनके सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभाता है।
महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39ए और विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के धारा 12 के तहत, महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता पाने का अधिकार दिया गया है।
यह अधिकार महिला की आर्थिक स्थिति पर निर्भर नहीं करता, यानी चाहे महिला आर्थिक रूप से कमजोर हो या सक्षम, वह इस अधिकार का उपयोग कर सकती है।
यह सुविधा खासतौर पर उन महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो कानूनी कार्यवाही का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं या जिन्हें न्याय के लिए कानूनी मदद की आवश्यकता है।
कैसे ले सकती हैं मुफ्त कानूनी सहायता?
ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से आवेदन किया जा सकता है।
बलात्कार या किसी भी अपराध की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी मदद लेने का पूरा अधिकार है।
किसी भी केस में, पुलिस स्टेशन में तैनात स्टेशन हाउस ऑफिसर को विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचित करना होता है, ताकि पीड़िता के लिए वकील की व्यवस्था की जा सके।
महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है यह अधिकार?
आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए वरदान – अगर किसी महिला की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और वह कानूनी मदद लेने में असमर्थ है, तो यह अधिकार उसे न्याय दिलाने में मदद करता है।
महिला सशक्तिकरण में मददगार – भारतीय संविधान द्वारा दिए गए ये कानूनी अधिकार महिलाओं को न्याय पाने और अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए आत्मनिर्भर बनाते हैं।
हर महिला को अपने अधिकार पता होने चाहिए – महिलाओं को संविधान द्वारा दिए गए इस तरह के महत्वपूर्ण अधिकारों के बारे में जागरूक रहना चाहिए, ताकि वे अपने साथ होने वाले किसी भी अन्याय के खिलाफ कदम उठा सकें।
महिलाओं के लिए मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार न्याय तक उनकी पहुंच को सुनिश्चित करता है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है। हर महिला को चाहिए कि वह अपने अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी रखे और जरूरत पड़ने पर बेझिझक कानूनी सहायता ले।

