
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को देवी स्वरूप माना गया है और लगभग हर भारतीय घर में इसकी उपस्थिति देखने को मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रोज़ सुबह तुलसी को जल अर्पित करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन तुलसी का महत्व सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि चिकित्सकीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत उपयोगी है। आयुर्वेद में इसे एक बहुमूल्य औषधि माना गया है जो कई बीमारियों में लाभ पहुंचाती है।
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार तुलसी के पत्तों में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो शरीर को कई रोगों से बचाती है जैसे बुखार, हृदय रोग, पेट की समस्याएं, मलेरिया और इंफेक्शन।
तुलसी से मिलने वाले प्रमुख स्वास्थ्य लाभ:
- मानसिक स्वास्थ्य में सहायक:
तुलसी का सेवन मस्तिष्क को शांत करता है, स्मरण शक्ति बढ़ाता है और सिरदर्द व तनाव को कम करता है। रोजाना 4-5 पत्ते पानी के साथ लेने से लाभ मिलता है। सिर में तुलसी के रस की मालिश भी कारगर है। - कान और दांत के दर्द से राहत:
तुलसी के पत्तों का रस कान में डालने से दर्द में आराम मिलता है। दांत दर्द के लिए तुलसी और काली मिर्च को मिलाकर चबाने से लाभ होता है। - पेट से जुड़ी परेशानियों में कारगर:
डायरिया, पेट दर्द, कब्ज, पीलिया और पथरी जैसी समस्याओं में तुलसी बेहद असरदार है। तुलसी और जीरा को पीसकर शहद के साथ लेने से डायरिया और पथरी में लाभ होता है। - त्वचा के लिए वरदान:
मुंहासे, फोड़े-फुंसी, सफेद दाग और चेहरे के कालेपन को दूर करने में तुलसी फायदेमंद है। तुलसी और नींबू का लेप बनाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा में निखार आता है। - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए:
तुलसी का नियमित सेवन शरीर की रोगों से लड़ने की ताकत को बढ़ाता है। तुलसी और काली मिर्च का काढ़ा बुखार, मलेरिया व टाइफाइड में उपयोगी है। मासिक धर्म की अनियमितता में इसके बीज लाभ देते हैं। - चोट और जहर से बचाव:
तुलसी का रस घाव को जल्दी भरने में मदद करता है। यहां तक कि सांप काटने पर तुलसी की जड़ का लेप और रस नाक में लगाने से राहत मिलती है। - तुलसी न केवल आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह एक शक्तिशाली औषधि भी है। अगर आप रोजाना तुलसी के कुछ पत्तों का सेवन करते हैं, तो आप कई गंभीर बीमारियों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।