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स्वर्ग के रास्ते पर 12 वर्षों के बाद कुंभ महोत्सव का आयोजन, श्रद्धालु संगम तट पर लगाते हैं आस्था की डुबकी

प्रयागराज महाकुंभ में देश के हर कोने से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे थे और करोड़ों लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई। यदि इस बार आप कुंभ स्नान में शामिल नहीं हो पाए हैं तो आपके लिए एक और सुनहरा अवसर आने वाला है। लगभग बारह वर्षों बाद अब उत्तराखंड में पुष्कर कुंभ का आयोजन होने जा रहा है। यह कुंभ बद्रीनाथ धाम के पास माणा गांव के निकट, सरस्वती नदी के संगम स्थल पर लगाया जाएगा। मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां से पांडव स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान किए थे, इसलिए इसे स्वर्ग का द्वार भी कहा जाता है।

पुष्कर कुंभ मेले की शुरुआत केशव प्रयाग से होगी, जो 15 मई से 26 मई तक आयोजित रहेगा। यदि आप इस शुभ अवसर पर स्नान करना चाहते हैं तो जान लें पुष्कर कुंभ तक कैसे पहुंचा जा सकता है और इसके धार्मिक महत्व क्या हैं।

पुष्कर कुंभ मेला बद्रीनाथ के पास, भारत के अंतिम गांव माणा में आयोजित होता है। इस अवसर पर देश के विभिन्न भागों से श्रद्धालु यहां आते हैं। दिल्ली से पुष्कर कुंभ पहुंचने के लिए आप बस, ट्रेन या कार का सहारा ले सकते हैं। दिल्ली से माणा की दूरी लगभग 546 किलोमीटर है और यात्रा में लगभग 12-13 घंटे का समय लग सकता है। यात्रा के लिए दिल्ली से पहले हरिद्वार पहुंचें, फिर ऋषिकेश होते हुए NH-58 मार्ग से बद्रीनाथ, जोशीमठ होते हुए माणा गांव पहुंचा जा सकता है। कुंभ स्नान के बाद आप माणा गांव के आसपास भी घूम सकते हैं, साथ ही बद्रीनाथ और केदारनाथ के दर्शन भी कर सकते हैं।

धार्मिक दृष्टि से देखें तो माणा गांव के पास केशव प्रयाग वह पवित्र स्थान है जहां महर्षि वेदव्यास ने तपस्या की और महाभारत की रचना की थी। इसके अलावा, दक्षिण भारत के महान आचार्य माध्वाचार्य और रामानुजाचार्य ने भी यहां ज्ञान प्राप्त किया था। इस कारण केशव प्रयाग में स्नान और पूजा का विशेष महत्व माना जाता है।

पुष्कर कुंभ मेला 12 वर्षों में एक बार होता है, जब गंगा, मां सरस्वती और अलकनंदा नदियों का संगम केशव प्रयाग पर बनता है। इस बार यह मेला 15 मई से शुरू होकर 26 मई तक चलेगा। इस अवसर पर आप गंगा, सरस्वती और अलकनंदा का पावन संगम देखकर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और श्रद्धा सहित स्नान कर सकते हैं।

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