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प्रधानमंत्री मोदी की टीम में एमजे अकबर की सात साल बाद फिर से एंट्री हुई

प्रसिद्ध पत्रकार और राजनेता एमजे अकबर की एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में वापसी हुई है। केंद्र सरकार ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरने और वैश्विक समुदाय के सामने भारत की बात मजबूती से रखने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है, जिसमें एमजे अकबर को भी शामिल किया गया है। यह टीम कई यूरोपीय देशों का दौरा करेगी।

एमजे अकबर को फिर मिली अहम भूमिका

करीब सात साल पहले, 2018 में ‘मीटू’ अभियान के तहत लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते एमजे अकबर को विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस विवाद के कारण वह कुछ समय तक सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन से दूर रहे। अब एक बार फिर उन्हें अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में योगदान देने का मौका मिला है।

किन देशों का होगा दौरा?

रवि शंकर प्रसाद के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल में एमजे अकबर के अलावा बैजयंत पांडा, शशि थरूर, कनिमोझी करुणानिधि, संजय कुमार झा, सुप्रिया सुले और श्रीकांत शिंदे जैसे प्रमुख सांसद शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, इटली और डेनमार्क का दौरा करेगा। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह बताना है कि भारत आतंकवाद का सबसे बड़ा पीड़ित रहा है और पाकिस्तान किस तरह से आतंकी संगठनों को संरक्षण देता रहा है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत का आक्रामक रुख

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इसके बाद भारत ने कूटनीतिक स्तर पर भी सक्रियता बढ़ा दी है। एमजे अकबर जैसे अनुभवी व्यक्ति की इस मोर्चे पर वापसी सरकार की रणनीति को मजबूत कर सकती है।

पत्रकारिता से राजनीति तक का सफर

एमजे अकबर ने अपने करियर की शुरुआत 1970 के दशक में बतौर पत्रकार की थी। ‘संडे’, ‘एशिया’, ‘द टेलीग्राफ’ और ‘एशियन एज’ जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में उन्होंने संपादक के रूप में अपनी खास पहचान बनाई। उन्होंने इतिहास और राजनीति पर कई किताबें भी लिखी हैं, जिनमें नेहरू: द मेकिंग ऑफ इंडिया और कश्मीर: बिहाइंड द वेल खास मानी जाती हैं।

राजनीति में उन्होंने 1989 में कांग्रेस की टिकट पर बिहार के किशनगंज से सांसद बनकर कदम रखा था। हालांकि 1991 में वह चुनाव हार गए। इसके बाद 2014 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और 2016 में विदेश राज्य मंत्री बनाए गए। उस दौरान उन्होंने भारत की विदेश नीति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सशक्त रूप से प्रस्तुत किया।

मीटू विवाद की परछाईं

2018 में पत्रकार प्रिया रमानी समेत कई महिलाओं ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए थे, जिन्हें उन्होंने सिरे से खारिज किया। अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी किया, जिसमें रमानी को 2021 में अदालत ने बरी कर दिया। एमजे अकबर ने इस फैसले को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी है।

अब जब वे फिर से भारत के कूटनीतिक मिशन का हिस्सा बने हैं, यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी अनुभवजन्य समझ और पत्रकारिता व राजनीति दोनों में हासिल ज्ञान से कैसे भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूत करते हैं।

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