ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे तनावपूर्ण हालात पर रूस के राष्ट्रपति
व्लादिमीर पुतिन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि ईरान पर किया गया हमला “बेवजह” और “अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ” है। पुतिन का यह बयान उस समय आया है जब पश्चिम एशिया में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं और वैश्विक शक्तियों की निगाहें इस संघर्ष पर टिकी हैं।
13 जून 2025 को इज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इज़राइल ने दावा किया कि यह हमला ईरान की बढ़ती परमाणु गतिविधियों और क्षेत्र में उसकी “उकसाने वाली नीतियों” को रोकने के लिए किया गया। जवाब में, ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III के तहत इज़राइल के तेल अवीव समेत कई शहरों पर सैकड़ों मिसाइलें दागीं।
“ईरान पर किया गया हमला न सिर्फ अस्वीकार्य है, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति के खिलाफ एक बड़ा खतरा है। रूस ऐसी कार्रवाइयों का कड़ा विरोध करता है, जो किसी भी देश की संप्रभुता का उल्लंघन करती हों।”
पुतिन ने यह भी साफ किया कि रूस मध्य पूर्व में स्थायी शांति और बातचीत के जरिए समाधान चाहता है, न कि युद्ध और तबाही के रास्ते।
रूस की चिंता सिर्फ राजनीतिक नहीं है। ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध पूरी दुनिया की ऊर्जा आपूर्ति और वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल सकता है। तेल की कीमतें पहले ही आसमान छू रही हैं, और रूस, जो खुद एक प्रमुख ऊर्जा निर्यातक है, नहीं चाहता कि बाजार में और अस्थिरता फैले।
सूत्रों के मुताबिक, रूस ने संयुक्त राष्ट्र में आपात बैठक बुलाने की मांग की है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। साथ ही पुतिन ने चीन, तुर्की और यूरोपीय देशों से भी बात कर एक साझा शांति प्रस्ताव की दिशा में पहल शुरू कर दी है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का बयान इस बात का संकेत है कि ईरान-इज़राइल युद्ध अब सिर्फ दो देशों का मामला नहीं रहा। यह एक वैश्विक संकट बनता जा रहा है, जिसमें हर बड़ी ताकत की भूमिका अहम होगी। अब देखना यह है कि कूटनीति जीतती है या जंग।

